रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में भूपेश सरकार ने आज सबसे अहम शासकीय संकल्प को सर्वसम्मति से पारित करा लिया. यह संकल्प है प्रदेश में मंत्रियों की संख्या 15 से 20 प्रतिशत करना. मतलब भूपेश सरकार 5 प्रतिशत तक मंत्रियों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं. इसी को लेकर आज सदन में भूपेश सरकार ने शासकीय संकल्प पेश किया.
भूपेश बघेल ने कहा कि जिन परिस्थितियों में संविधान संशोधन किया गया उस वक़्त यूपी और बिहार की स्थिति को ध्यान में रखकर लाया गया था.मैं इससे सहमत हूँ. पहले हमें जनसंख्या के आधार पर केंद्र से राशि मिलती थी. लेकिन अब केंद्र सरकार भी राज्य के दूरस्थ अंचलो को देखकर राशि बढ़ाये जाने की वकालत करती है. मंत्री पद को लेकर भी ऐसी स्थिति है. क्षेत्रफल में छत्तीसगढ़ बड़ा राज्य है. ऐसे में मंत्रियों पर जिम्मेदारियां ज्यादा होती है. हमने छत्तीसगढ़ में जनसंख्या को सीमित रखा. तो क्या ये दोष है. हमारी गलती है. यहां चाहकर भी मुख्यमंत्री को विभाग रखना पड़ता है क्योंकि यहां विभाग अधिक हैं. यदि मंत्री पद 20 फीसदी भी कर दिया जाए तो भी यह कम होगा लेकिन यह कहना कि इसे तुष्टिकरण के लिए लाया गया है तो यह गलत बात है. इसी विधानसभा में हमने छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवी अनुसूची में शामिल करने के लिए शासकीय संकल्प लाया था, लेकिन इसके लिए हम आज भी प्रयासरत है. मंत्री पद को बनाने के लिए भी यह एक प्रयास है. यह संकल्प पवित्र उद्देश्य के लिए लाया गया है.
पहले 13वां पद तो भर लीजिए- विपक्ष
शासकीय संकल्प को लेकर भूपेश सरकार पर तंज कसते हुए बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि सदन में इसे पेश करने की जरूरत क्या है? अभी तो 13 वां पद खाली है उसे भर लीजिये. सदन का उपयोग राजनीतिक इस्तेमाल के लिए न किया जाए. भाजपा की भी सरकार थी हमने किसी भी प्रदेश में नहीं किया. ऐसा कोई शासकीय संकल्प देश के किसी विधानसभा में नहीं आया मैं विरोध करता हूँ.
वहीं बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि देश मे दलबदल में रोक लगे इस लिए संविधान में संशोधन की जरूरत पड़ी थी. अब मंत्रियों की संख्या बढ़ाने शासकीय संकल्प.
वहीं जेसीसीजे और बसपा गठनबंधन दल के नेता विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि इस संकल्प की न तो कोई वैधता है और न ही आवश्यकता है. धर्मजीत सिंह ने सीएम भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि ऐसा संकल्प पारित कर आप अपने दल के असंतुष्ट लोगों को संतुष्ट करना चाहते हैं तो मुझे आपकी बुद्धि पर भी तरस आ रही है. मंत्री बनने की एक सीमा होती है. मुझे अच्छा लगता कि सदन में पोलावरम बांध के मुद्दे पर प्रस्ताव रखते. शासकीय संकल्प पेश करके कोई फायदा नहीं होगा. छत्तीसगढ़ में मन्त्रियों की संख्या 20 हो जाये इसे लेकर दिल्ली में किसे पड़ी है कि लोकसभा और राज्यसभा में बिल लाकर पारित किया जाए. ऐसे प्रस्ताव की कोई अहमियत नहीं है. हंसी का पात्र नहीं बनना चाहिए.