रंग-बिरंगी तितलियों के पीछे किसका बचपन नहीं भागा होगा? ये रंग-बिरंगी तितलियां देखने में बड़ी मनमोहक लगती हैं. वहीं वर्तमान समय में अनुसंधान सुविधाओं, विश्वविद्यालयों, चिडिय़ाघरों, कीट-व्याधियों, प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों, तितलियों के प्रदर्शन, संरक्षण संगठनों, प्रकृति केंद्रों, व्यक्तियों को तितली भंडार की आपूर्ति के उद्देश्य से नियंत्रित वातावरण में तितलियों और पतंगों के प्रजनन का व्यवसाय एक नया चलन है.
भारत में तितलियों के पार्क और उद्यानों की शुरुआत विभिन्न प्रकार के कीट और खाद्य पौधों के साथ की गई है, जो तितलियों को आकर्षित करते हैं और तितलियों के लिए अनुकूल आवासों के उद्धार में सहायता करते हैं. इसके विपरीत, तितली घर या व्यावसायिक कृषि के मुकाबले तितली उद्यान तितलियों को खुली हवा में रहने देने में मदद करते हैं, जहां केवल देशी तितलियों को प्राकृतिक रूप से निवास/यात्रा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. वहीं वर्तमान में भारत में देश भर नए नए तितली पार्क खुल रहे हैं. मुख्य रूप से सरकार द्वारा स्थापित किए गए हैं. Read More – बचपन से ही बच्चों में डालें हाइजीन से जुड़ी ये आदतें, नहीं होंगे बार बार बीमार …
सबसे पहले तितली पार्क की स्थापना बैंग्लुरू में की गई थी, जिसके बाद शिमला, पुणे, चंडीगढ़, सिक्किम, गोवा, मैसूर, ओडिशा, श्रीरंगम और नई दिल्ली में की गई. हालांकि, निर्यात के लिए तितली की कृषि वर्तमान में भारत में संभव नहीं है, लेकिन कृषि-पारिस्थितिक तंत्र के भीतर पर्यावरण की रक्षा के साधन के रूप में अधिक से अधिक तितलियों के मुद्रीकरण और मूल्य निर्धारण की क्रियाविधि का विस्तार करने की संभावना है.
तितली की कृषि की ऐसी होती है प्रक्रिया
तितली की कृषि में एक छोटे से जालीदार बाड़े को तैयार किया जाता है. इसे तितली की नियोजित प्रजातियों के लिए खाद्य पौधे के साथ लगाया जाता है. एक मादा तितली को प्रजनन पिंजरे में रखा जाता है, ताकि वह खाद्य पौधे पर अंडे दे सके.
हाल ही में दिए गए अंडों को किसान द्वारा कीट मुक्त डिब्बों में रखा जाता है, जिसमें वे 10-14 दिनों में टूट जाते हैं. अंडे के टूटने के बाद इससे निकलने वाले कीट को नर्सरी में उनके विशेष खाद्य पौधे में स्थानांतरित कर दिया जाता है. बढ़ते हुए कीट की किसानों द्वारा प्यूपा बनने तक देखभाल की जाती है. कीट प्यूपा बनने तक उपयुक्त पत्ती या छड़ी से चिपका रहता है और प्यूपा बनने पर अपनी त्वचा को छोड़ देता है. इसके बाद किसान द्वारा तितलियों को बेचा जाता है. Read More – Jaya Bachchan Angry Video : एयरपोर्ट में कैमरा पर्सन पर भड़की जया बच्चन, वीडियो हो रहा वायरल …
भारत में 1500 प्रकार की तितलियां
प्रकृति में रंग भरने वाली 1500 प्रकार की तितलियां भारत में पाई जाती है. इनमें से करीब 41 प्रजाति की तितलियों की मौजूदगी इस माह लाठी में दर्ज की गई हैं. तितलियां एक फूल से दूसरे फूल पर पहुंचकर परागण में सक्रिय भूमिका निभाती है.
खेती का बदला तरीका चिंतनीय
जानकार जंगल के आसपास हो रहे रासायनिक खेती को लेकर चिंतिंत हैं. 103 प्रजातियों की तितलियां जिस स्थान पर देखी गई हैं, उसके आसपास खेतों में रसायनों का प्रयोग होता है. इसका तितलियों पर बुरा असर हो सकता है. इस अभयारण्य के आस-पास और भीतर इंसानी आबादी मौजूद है. गांव के लोग खेती करते हैं और कीटनाशकों का उपयोग भी करते हैं जिस से तितलियों के अंडे मर जाते है. साथ ही,कैटरपिलर जहरीली पत्तियों को खा कर मर जाते हैं, जिन से तितलियों की संख्या प्रभावित हो सकती है.
- छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक