रायपुर. महानदी विवाद को लेकर एक बार फिर जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने एक बड़ा बयान दिया है. जिसमें बृजमोहन ने ओडिसा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि ओडिशा सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए इसे बार बार मुद्दा बना रही है, जबकि यह कोई मुद्दा ही नहीं है. बृजमोहन ने कहा कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा अलग अलग नहीं है. ऐसे में महानदी को लेकर दोनों प्रदेशों के हितो का ध्यान में रखा जाना चाहिए. लेकिन ओडिशा सरकार इस मामले को लेकर दोनों प्रदेशों को आपस में लड़वाने का प्रयास कर रही है.
गौरतलब है कि ओडिशा सरकार ने छत्तीसगढ़ में महानदी पर बने सभी बैराज को अवैध ठहराते हुए यह कहा था कि बैराज की जानकारी ओडिशा को नहीं दी गई. तो वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा कि छोटे बैराज बनाने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती है. केन्द्र की अनुमति केवल बड़े बांधों के लिए लेनी होती है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ने एकमात्र बन रहे बड़े बांध अरपा-भैंसाझार के लिए केन्द्रीय जल आयोग से अनुमति ली गई है.
इस विवाद को लेकर ओडिशा सरकार ने विशेष ट्रिब्यूनल के गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और महानदी के ऊपरी इलाकों में बांधों के निर्माण पर रोक लगाने की मांग की थी, याचिका में इस बांध निर्माण से ओडिशा के लोगाें की आजीविका प्रभावित होने और सामाजिक आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का हवाला दिया गया था.
जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को महानदी विवाद को हल करने के लिए ट्रिब्यूनल गठित करने कहा था. केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ट्रिब्यूनल के गठन के लिए 19 नवम्बर तक अधिसूचना जारी कर दी जायेगी. लेकिन इसके बाद भी अब तक केन्द्र सरकार की ओर से इस मामले को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया.
एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसम्बर को केन्द्र सरकार को कहा कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी जल बंटवारा विवाद के निबटारे के लिये ट्रिब्यूनल के गठन के विरोध का कोई वैध मकसद नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह जानकर निराशा हुई है कि केन्द्र सरकार ने अभी तक इस विवाद पर विचार के लिये ट्रिब्यूनल के गठन के बारे में अधिसूचना जारी नहीं की है. जबकि केन्द्र सरकार ने अक्टूबर में कोर्ट को सूचित किया था कि इस बारे में 19 नवंबर तक फैसला कर लिया जायेगा.