ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को एक साथ फिलिस्तीन को आधिकारिक राष्ट्र का दर्जा देने का ऐलान किया है। यह कदम इजरायल के खिलाफ और अमेरिका की नीति से उलट माना जा रहा है। तीनों देशों ने कहा कि यह फैसला गाजा युद्ध को खत्म करने और दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में उम्मीद जगाने के लिए लिया गया है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर ने X पर लिखा, “आज हम फिलिस्तीन राष्ट्र को औपचारिक रूप से मान्यता देते हैं ताकि फिलिस्तीनियों और इजरायलियों के बीच शांति की उम्मीद को जिंदा रखा जा सके।’ ब्रिटेन के डिप्टी पीएम डेविड लैमी ने कहा कि मान्यता देने से फिलिस्तीन रातों-रात राष्ट्र नहीं बन जाएगा, लेकिन यह दो-राष्ट्र समाधान की संभावना को जिंदा रखने का कदम है।
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया ने कहा- द्वि-राज्य ही समाधान का मार्ग
ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया फिलिस्तीन के लोगों की अपनी एक अलग राज्य की वैध और दीर्घकालिक आकांक्षाओं को मान्यता देता है। आज की मान्यता का यह कदम द्वि-राज्य समाधान के प्रति ऑस्ट्रेलिया की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो हमेशा से इजरायली और फिलिस्तीनी लोगों के लिए स्थायी शांति और सुरक्षा का एकमात्र मार्ग रहा है।” कनाडा ने एक बयान में कहा कि वो मध्य-पूर्व में स्थायी शांति के लिए दो-राज्य समाधान का समर्थन करता है।
भारत ने भी दी है फिलिस्तीन को मान्यता
जुलाई में ही फ्रांस ने भी फिलिस्तीन को राष्ट्र की मान्यता दी थी। इसी के साथ वो फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला यूरोप में सबसे बड़े यहूदी और मुस्लिम समुदायों वाला पहला प्रमुख पश्चिमी देश बन गया था। बता दें कि फिलिस्तीन को भारत और चीन समेत करीब 150 देशों ने मान्यता दे रखी है। अमेरिका इस सूची में शामिल नहीं है। इजरायल हमेशा से ऐसी घोषणाओं का विरोध करता रहा है।
अमेरिका-इजरायल की कड़ी आपत्ति
अमेरिका और इजरायल ने इस फैसले का विरोध किया और इसे हमास और आतंकवाद को इनाम देने जैसा बताया. इजरायल लगातार दो-राष्ट्र समाधान का विरोध करता रहा है और वेस्ट बैंक में बस्तियां बढ़ा रहा है, जिसे भविष्य के फिलिस्तीनी राष्ट्र की जमीन माना जाता है.
क्या है इतिहास?
ब्रिटेन का फिलिस्तीन से गहरा ऐतिहासिक रिश्ता रहा है. 1917 की बेलफोर घोषणा में यहूदियों के लिए मातृभूमि का समर्थन किया गया था, लेकिन फिलिस्तीनियों के अधिकारों को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया. फिलिस्तीनी मिशन के प्रमुख हुसाम जोमलोट ने कहा, “आज 108 साल पुराने हमारे अस्तित्व के इनकार को खत्म करने का दिन है. यह इतिहास को सुधारने का पल है.’
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