जयपुर. सनातन शास्त्रों में खंडित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं, तस्वीरों की पूजा करना वर्जित माना गया है. ऐसी पूजा को शुभ नहीं माना जाता है. लेकिन प्रातपगढ़ के अरनोद उपखण्ड मुख्यालय का गौतमेश्वर शिवालय ऐसा है, जहां गौतमेश्वर महादेव दो भागों मे विभाजित हैं. पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होने के बाद भी यहां महादेव की पूजा इसी स्वरूप में होती है.

माना जाता है कि गौतमेश्वर महादेव के मंदिर में गौहत्या के साथ अन्य जीव हत्या का पाप लगने पर यहां स्थित मोक्षदायिनी कुंड में स्नान करने के पश्चात व्यक्ति पाप मुक्त हो जाता है.

ये है मान्यता

मोहम्मद गजनवी जब सभी हिन्दू मंदिरों पर आक्रमण करते हुए यहां पहुंचा तो उसने गौतमेश्वर महादेव शिवलिंग को भी खंडित करने का प्रयास किया. प्राचीन कथाओं के अनुसार शिवलिंग पर प्रहार करने पर भोलेनाथ ने अपना चमत्कार दिखाने के लिए पहले तो शिवलिंग से दूध की धारा छोड़ी, दूसरे प्रहार पर उसमें से दही की धारा निकली और जब गजनवी ने तीसरा प्रहार किया तो भोलेनाथ क्रोधित हो गए. इसके बाद शिवलिंग से एक आंधी की तरह मधुमक्खियों का झुंड निकला जिसने गजनवी सहित उसकी पूरी सेना को परास्त किया. यहां पर गजनवी ने भोले की शक्ति को मानते हुए शीश नवाया, फिर मंदिर का पुन: निर्माण करवाया और एक शिलालेख भी लगाया कि यदि कोई मुसलमान हमला करेगा या बुरी नजर से देखेगा तो वह सुअर की हत्या का दोषी होगा. इसी तरह यदि कोई हिन्दू इस मंदिर पर बुरी नजर डालेगा या नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा तो वह गौहत्या का भागी बनेगा. आज भी यह शिलालेख मंदिर में लगी हुई है.