दुर्ग। जिन हाथों में हर वक्त बंदूक रहती है, जिनकी निगाहें दुश्मनों की हर हरकत पर जमीं रहती है. जो पैर नदी हो या नाला या फिर पथरीले पहाड़ दुश्मनों को पकड़ने दौड़ पड़ते हैं. उन्हीं हाथों में बंदूक की जगह अगर डांडिया और पैर थिरकने लगें तो जाहिर है वक्त कुछ थम सा जाएगा. लोगों की निगाहें बरबस ठहर सी जाएगी. हम बात कर रहे हैं बीएसएफ के उन जांबाजों की जो अपनी जान को दांव पर लगाकर सरहद की हिफाज़त करते हैं. हम बात कर रहे हैं श्रद्धा और आस्था के पर्व नवरात्रि की.
दरअसल भिलाई के सिविक सेंटर ग्राउंड में डांडिया कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. नवरात्रि के अंतिम दिन गरबा करने बीएसएफ के जवान पहुंचे. जवान देशभक्ति के गाने पर जमकर डांडिया किया. जवानों को गरबा करते देख आते जाते लोग भी रुक गए और गरबा का जमकर आनंद लिया. कभी गरबा की धुन बजी तो कभी पंजाबी गांनो की, ये पल भिलाई ने शायद ही पहले कभी देखा होगा. जवानों का हौसला बढ़ाने लोगों ने भी भारत माता की जय, वन्दे मातरम के नारे लगाने शुरू किए और असल जिंदगी के हीरोज का अभिवादन भी किया.
BSF के जवानों का कहना है कि भिलाई में उन्हें कभी घर से दूरी जैसी बात महसूस नहीं की. इस भिलाई में मिनी इंडिया बसता है जहां सभी भाषाएं बोली जाती हैं जिन्हें सुनकर ऐसा लगता है कि हम अपने घर में हैं. वहीं आयोजकों का कहना है कि बीएसएफ के जवान हमारी रक्षा के लिए कभी तपती गर्मी में तो कभी माइनस डिग्री में घंटो ड्यूटी करते हैं जिनकी वजह से ही हम महफूज़ हैं और हमारी रक्षा करते हुए ये अपना निजी जीवन नहीं जी पाते.