शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के बजट इजलास के दौरान सिख मामलों से संबधित कई अहम प्रस्ताव पास किए गए। शिरोमणि कमेटी के प्रधान ऐडवोकेट हरजिन्द्र सिंह धामी की और से पेश किए गए इन प्रस्तावों में बंदी सिंहों की रिहाई से संबधित प्रस्ताव के साथ -साथ श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी मामले में डेरा सिरसा मुखी राम रहीम और हनीप्रीत की गिरफ्तारी की मांग , सिख गुरधामों के प्रबंधों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करने सहित पाकिस्तान में सिख विरासतों की देखभाल की और ध्यान देने आदि प्रस्ताव शामिल है।
बंदी सिंहों से संबधित किए गए प्रस्ताव में कहा गया कि तीन -तीन दशकों से जेलों में नजरबंद सिखों की रिहाई के प्रति सरकारों की खामोशी अपने ही देश में सिखों से बड़ा भेदभाव और फर्क है। सिख बंदियों से मानवता के अधिकारों को अनदेखा करके अन्याय किया जा रहा है, क्योंकि इन्होने ऊमर कैद से भी दुगनी सजाएं संविधान के दायरे के अन्दर रह कर काट चुके है ।
इस प्रस्ताव में श्री अकाल तख्त साहिब की और से गठित की गई उच्च स्तरीय पांच सदस्य कमेटी के प्रति केन्द्र सरकार के नकारात्मक व्यवहार को भी श्री अकाल तख्त साहिब की सर्वोचता और मान -सम्मान के प्रति ग़ैर-गंभीरता पहुंच करार दिया । प्रस्ताव द्वारा केन्द्र सरकार को अपील की है कि श्री अकाल तख्त साहिब का सम्मान करते हुए बंदी सिंहों के मामले ’पर पांच सदस्य कमेटी द्वारा बातचीत का रास्ता खोले और सिख कौम को संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर न करें । एक प्रस्ताव द्वारा वर्ष 2015 में बरगाड़ी में श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की हुई बेअदबी के मामले में डेरा सिरसा मुखी गुरमीत राम रहीम और उसकी अनुयायी हनीप्रीत की तुरन्त गिरफ्तारी की मांग की गई। प्रस्ताव में कहा गया है कि इस मामले में गत समय गिरफ्तार किए गए सिरसा डेरे के अनुयायी प्रदीप कलेर की और से चंडीगढ़ की अदालत में किए खुलासों से स्पष्ट हो चुका है कि इस सिख विरोधी व्यवहार के पीछे मुख्य साजिशकर्ता डेरा सिरसा मुखी गुरमीत राम रहीम और हनीप्रीत है । पंजाब सरकार से मांग की गई कि सिखों को इंसाफ देने के लिए अदालती प्रक्रिया द्वारा डेरा सिरसा मुखी को हिरासत में लें और इसके साथ ही हनीप्रीत को तुरन्त ही गिरफ्तार किया जाए ।
देश के किसानों की और से अपनी हक की मांगों के लिए किए जा रहे संघर्ष की भी एक प्रस्ताव द्वारा पुरजोर समर्थन किया है। इसमें केन्द्र सरकार के कहने पर हरियाणा की सरकार की और से किसान को दिल्ली जाने से रोकने , बड़ी संख्या में रबड़ की गोलियां चलाने और अश्रु गैस के गोले फैंकने , पानी की बौछारों और लाठी चार्ज करने के साथ -साथ पंजाब सरकार की और से केन्द्र के साथ मिलकर हरियाणा सरकार को पंजाब की सरहद में किसानों’पर जुल्म करने की इजाजत देने को अमानवीय व्यवहार करार देते हुए इसकी सख्त शब्दों में निंदा की गई।
एक और प्रस्ताव में सिख कौम के संस्थानों में सरकारों की ओर से किए जा रहे हस्तक्षेप की सख्त निंदा की गई। प्रस्ताव में फटकार लगाई गई कि सरकारें सिख संस्थानों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप से बाज आएं । असाम की डिबरूगड़ जेल में नजऱबंद भाई अंमृतपाल सिंह और अन्य सिंहों पर लगाई गई एनएसए में एक वर्ष की और बढ़ोतरी करने का भी एक प्रस्ताव द्वारा सख्त शब्दों में निंदा की गई। इस प्रस्ताव में कहा गया कि इन नौजवानों की और से कोई ऐसा गुनाह नहीं किया गया कि इनको देश विरोधी गरदान के राज्य से बाहिर हज़ारों किलोमीटर दूर जेलों में बंद रखा जाए । यह मानव अधिकारों के मद्देनजर उचित कार्यवाही नहीं है। प्रस्ताव में पंजाब सरकार को कहा गया है कि डिब्रूगड़ जेल में नजरबंद नौजवानों पर लगाई गई एनएसए खत्म की जाए और उनको पंजाब की जेलों में तब्दील करके उनके मानव अधिकारों को सुरक्षित रखे जाएं ।
जनरल इजलास ने पाकिस्तान में पंजाब की नई बनी मुख्यमंत्री मरियम नवाज की ओर से राज्य के स्कूलों में पंजाबी पढ़ाने से संबधित किए गए ऐलान का स्वागत किया और पाकिस्तान सरकार को वहां स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिबान की जायदादों पर हुए नजायज़ कब्जों से मुक्त करवाने के लिए भी कहा । कहा गया है कि पाकिस्तान में बड़ी संख्या में सिख विरासत गुरू साहिबान की निशानियों के रूप में मौजूद है, जिनका ठीक ढंग से सांभ -संभाल पाकिस्तान सरकार की जिम्मेदारी है। पाकिस्तान में सिख विरासत की सांभ-संभाल के लिए सिख संस्था की और से हर तरह के सहयोग की भी वचनबद्धता जताई गई।
जनरल इजलास ने एक प्रस्ताव द्वारा पंजाब से बाहिर के राज्यों में सिख कौम के ऐतिहासिक स्थानों से संबधित लटकते आ रहे मुद्दों के तुरंत समाधान की भारत से संबधित राज्यों की सरकारां से मांग की। इनमें श्री गुरू नानक देव जी से संबधित ऐतिहासिक स्थानों गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी साहिब हरि की पौड़ी हरिद्वार (उतराखंड), गुरुद्वारा डांगमार साहिब और गुरुद्वारा साहिब चुंगथांग (सिक्कम), गुरुद्वारा बावली साहिब और पंजाबी म_ जगननाथपुरी (उड़ीसा) और गुरुद्वारा तपोस्थान गुरू नानक देव जी मेचुका अरुणाचल प्रदेश के मामले शामिल है, जिनसे संबधित लगातार आवाज उठाई जा रही है। प्रस्ताव द्वारा मांग की गई कि सिख गुरू साहिबान की यादगिरी के रूप में सुशोभित उक्त स्थानों के बारे सरकार की और से सार्थक पहुंच पाए , ताकि जो सिख कौम अपने पवित्र स्थानों की सेवा संभाल पंथक भावनाओं के अनुसार कर पाएं ।
एक प्रस्ताव द्वारा गुरू साहिबान के नाम पर रह रहे पंजाब में नशों की घटनाओ पर बहुत चिंता जताते हुए पंजाब सरकार को नशों की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने के लिए कहा गया । प्रस्ताव द्वारा पंजाब के लोगों और खासकर नौजवानों को भी अपील की है कि नशों की घातक घटना के खिलाफ संगठित होकर इसको रोकने के लिए जिम्मेदारी निभाएं ।
जनरल इजलास ने एक प्रस्ताव में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सिखों के विरुद्ध संगठित तौर पर की जा रही साजिश और क्रूर प्रचार को रोकने के लिए सरकारों को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए कहा । कहा गया है कि कुछ लोग जानबूझ कर सिखों के झूठा प्रचार कर रहे है । इस सबके लिए सोशल मीडिया को हथियार की तरह उपयोग किया जा रहा है, पर सरकारें चुप बैठ कर देख रही है । देश में हर धर्म के सम्मान को यकीनी बनाए रखने के लिए केन्द सरकार और सोशल मीडिया के ऐसे खातों की जांच करने की मांग की गई। इस प्रस्ताव द्वारा सिख कौम को भी अपील की गई कि सोशल मीडिया के ऊपर धार्मिक और कौमी मुद्दों पर कोई भी टिप्पणी करने के समय यह ज़रूर ध्यान रखा जाए कि उससे सिख इतिहास, सिद्धांतों, रहत मर्यादा और साथ -साथ किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे ।
इसके अतिरिक्त बीते समय में निधन हो चुके तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी बलवंत सिंह नन्दगड़, शिरोमणि कमेटी के सदस्य बीबी जसवीर कौर दातेवास, जत्थेदार कुलदीप सिंह तेड़ा और पंथ प्रसिद्ध कथावाचक भाई पिन्द्रपाल सिंह की माता बलबीर कौर को शोक प्रस्तावों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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