रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्तमान सरकार का अंतिम बजट पेश किया. ‘भरोसे के बजट’ करार दिए गए इस बजट को लेकर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से अलग-अलग वर्गों की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है. कोई इस बजट को राहत देने वाला बता रहा है, तो कोई इसे छलने वाला बजट बता रहा है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने भूपेश सरकार के बजट को लेकर घोर निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार को भरोसे का संकट था, तभी इसका विज्ञापन किया गया. बजट हर वर्ग को ठगने वाला, छलने वाला बजट है.

किसान नेता पारसनाथ साहू ने कहा कि बजट के जरिए किसानों को राहत दी गई है. उन्होंने कहा कि रासायनिक दवा परीक्षण केंद्र, धरसा योजना, अनुदान, राजीव गांधी न्याय योजना में प्रावधान किसान के हित में हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि धान ख़रीदी का लिमिट बढ़ाने का आस थी, लगता है मुख्यमंत्री की किसानों को चुनाव के समय में ये सौग़ात देंगे.

किसान नेता तेजराम विद्रोही.

वहीं किसान नेता तेजराम विद्रोही कहा कि तुष्टिकरण की नीति के तहत राज्य सरकार का बजट पेश हुआ. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बतौर वित्तमंत्री ने अपने कार्यकाल के अंतिम बजट प्रस्तुत किया. बजट में एक प्रकार से तुष्टिकरण की नीति नजर आती है. वहीं अनियमित कर्मचारियों की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के बजाय उनके मानदेय में मामूली बढ़ोतरी कर तुष्टिकरण का प्रयास किया गया है.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछला बजट जहां एक लाख चार हजार पांच सौ करोड़ रुपए का था, तो साल 2023-24 के लिए एक लाख बत्तीस हजार तीन सौ सत्तर करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. करीब 17 प्रतिशत की वृद्धि है, जो महंगाई दर की तुलना में आधे से तीन प्रतिशत ज्यादा है.

छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव

छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने कहा कि विधानसभा में प्रस्तुत बजट में कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते का उल्लेख नहीं है. इस बजट में किसान, मजदूर के साथ अन्य वर्गों योजनाओं का उल्लेख किया गया है, लेकिन राज्य सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई राहत-भत्ते के भुगतान के लिए बजट प्रावधान का कोई उल्लेख नहीं है. प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों की आशा घोर निराशा में बदल गई.

बजट पेश होने के बाद धरना स्थल बुढ़ा तालाब में गमगीन माहौल देखने को मिला. विधवा महिलाओं की आंख से अश्रुधारा बहती नजर आई. अनुकंपा नियुक्ति की आस पर पानी फिरने के बाद अब महिलाएँ इच्छा मृत्यु की माँग कर रही हैं. विधवा महिलाओं ने कहा जब तक उम्मीद है, हक़ के लिए लड़ेंगे. विधवा महिलाओं ने सामूहिक रूप से मुंडन होने की बात कही.

अनियमित कर्मचारी के प्रांतीय संयोजक गोपाल प्रसाद साहू.

अनियमित कर्मचारी के प्रांतीय संयोजक गोपाल प्रसाद साहू ने कहा कि अनियमित कर्मचारियों के लिए निराशाजनक बजट है, जिस पर 12 मार्च को अनियमित सभा का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार का अंतिम बजट प्रदेश के लाखों अनियमित कर्मचारी, संविदा, दैनिक वेतन भोगी, कलेक्टर दर, श्रमायुक्त दर पर कार्यरत श्रमिक, प्लेसमेंट, मानदेय, अशंकालिक, जाबदर, ठेका के निराशा जनक एवं पीड़ा देने वाली बजट है.

उन्होंने कहा कि केवल कुछ वर्गों के अनियमित कर्मचारियों जैसे आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता-सहायिका, रसोइया, स्कूल सफाई कर्मचारियों के मानदेय में न्यूनतम वृद्धि करने एवं मितानिनों को अतिरिक्त 2200 रु. देने की घोषणा की गई है. शेष अनियमित कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जन आकांक्षा की अभिव्यक्ति में यह बजट असफल रहा. पार्टी की राज्य समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सरकार का जीडीपी विकास दर 12.6% का अनुमान तथा प्रतिव्यक्ति आय में लगभग 11% वृद्धि का दावा जरूर है, किंतु स्वयं सरकार के द्वारा पेश आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े यह बताते हैं कि प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ा है, आय असमानता बढ़ीं है, और प्रदेश की 73% आबादी अभी भी गरीबी रेखा सीमा से नीचे जीवन यापन करने बाध्य है. इसके लिए रोजगार के अवसर तथा आम लोगों की आमदनी में वृद्धि के पर्याप्त उपाय की आवश्यकता है.

पार्टी के कार्यकारी सचिव धर्मराज महापात्र की ओर जारी बयान में कहा गया है कि सरकार ने बेरोजगारी भत्ते की बात तो को किंतु उसके लिए परिवार की आमदनी के लिए 2.50 लाख की सीमा लगा दी और वह भी अधिकतम दो वर्ष के लिए 2500 रुपए प्रतिमाह की शर्त जोड़ दी इससे बड़ी संख्या में पात्र इससे वंचित हो जायेंगे, जबकि सरकार के आंकड़े यह बताते हैं कि 19 लाख से अधिक केवल पंजीकृत बेरोजगार हैं. इसी तरह निराश्रित बुजुर्ग, दिव्यांग, विधवा, परित्यकता की मासिक पेंशन में मात्र 150 रुपए, मध्यान्ह भोजन के रसोइए के मानदेय में मात्र 300 रुपए, स्कूल सफाई कर्मियों के मानदेय में मात्र 300 रुपए की मासिक वृद्धि की गई है, जबकि मध्यान्ह भोजन कर्मियों के मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उन्हे प्रतिदिन 392/ पारिश्रमिक दिए जाने का निर्णय दिया है.

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