रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है. बजट सत्र 5 फरवरी से 28 फरवरी तक चलेगा. सत्र के दौरान कुल 17 बैठकें होंगी. सरकार ने इस संबंध में पहले से ही तैयारी शुरु कर दी थी. मुख्यमंत्री अलग-अलग मंत्रियों के साथ बैठकर उनके विभागों से संबंधित बजट मांगों की जानकारी ले रहे थे. इसके अलावा उन्होंने पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों से भी बजट के संबंध में चर्चा की थी. चूंकि ये चुनावी साल है, इसलिए माना जा रहा है कि बजट लोकलुभावन रहेगा. इसके मद्देनजर सरकार ने पहले से ही तैयारियां शुरु कर दी थीं.

घोषणाओं पर रहेगी नजर

इस बार के बजट सत्र में सभी की निगाहें प्रदेश सरकार द्वारा की जाने वाली घोषणाओं पर रहेगी. चुनावी साल के बजट के कारण लोगों को इससे काफी उम्मीदें हैं.

विपक्ष की सरकार को घेरने की रणनीति

वहीं विपक्ष ने भी बजट सत्र को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. इस बजट सत्र के दौरान विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस सरकार को घेर सकती है. सम्भावना जताई जा रही है इस बार के बजट सत्र के दौरान विपक्ष जहां एक ओर किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास करेगी, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक को लेकर भी सरकार को घेरने की कोशिश कर सकती है. इसके अलावा भी कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसे लेकर विपक्ष सदन में सरकार पर हमले कर सकती है.

गौरतलब है कि इस बार संसद का बजट सत्र भी 29 जनवरी से शुरू हो रहा है और 1 फरवरी को केंद्रीय बजट आने की संभावना है. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने भी फरवरी में बजट पास करा लेने का फैसला किया है. इसके लिए फरवरी में बजट सत्र बुलाया गया है.

बता दें कि छत्तीसगढ़ के लिए ये चुनावी साल है और सरकार चुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा विकास कार्यों का काम शुरू कराना चाहती है. फरवरी में बजट पास हो जाने पर मार्च से निर्माण कार्यों के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी और अप्रैल-मई में काम शुरू कराए जा सकेंगे.

मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जब लोक सुराज अभियान और विकास यात्रा के लिए निकलेंगे, तो इन निर्माण कार्यों का भूमिपूजन साथ-साथ चलेगा और इसके तुरंत बाद काम शुरू भी करा दिया जाएगा, ऐसे में चुनाव से पहले पूरे प्रदेश में निर्माण कार्य होते हुए दिखाई देंगे. सरकार को उम्मीद है कि इसका असर चुनाव पर पड़ेगा. समय से पहले बजट पास हो जाने का दूसरा बड़ा फायदा ये होगा कि आचार संहिता लागू होने से पहले बजट का बड़ा हिस्सा खर्च किया जा सकेगा. जिसमें मोबाइल बांटने जैसी लोक लुभावन योजनाएं भी शामिल हैं.