रायपुर। विधानसभा में बजट पर सामान्य चर्चा के दौरान विधायक धनेंद्र साहू ने कहा कि वैसे तो मुख्यमंत्री सौम्य छवि वाले हैं, लेकिन पहली बार वे घमंड से भरे हुए नजर आए. धनेंद्र साहू ने कहा कि लगता है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह पर दिल्ली के दाढ़ी वाले बाबा का असर हो गया है. धनेंद्र साहू ने दाढ़ी वाले बाबा के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.

धनेंद्र साहू ने कहा कि जिनका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है, दुर्भाग्य से उनकी 15 साल से इस प्रदेश में सरकार है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अभी तक छत्तीसगढ़ और उसकी पीड़ा को समझ नहीं सके हैं, इसी का नतीजा ये प्रदेश भोग रहा है.

धनेंद्र साहू ने कहा कि प्रदेश का स्थूल विकास हो रहा है और हमारे नैसर्गिक संसाधनों का तेजी से दोहन हो रहा है, लेकिन नवोदित राज्य के विकास के जो स्वप्न देखे थे, वो पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि 14 साल हो गए इस सरकार को, लेकिन हर बार गांव-गरीब और किसान उन्मुखी होने का दावा मुख्यमंत्री करते हैं, तो फिर उनका विकास क्यों नहीं हो रहा है.

धनेंद्र साहू ने पूछा कि स्थूल विकास से गांव गरीब और किसान को कितना फायदा होता है. उन्होंने कहा कि PWD मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि शेरशाह सूरी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने सड़कों के विकास का काम किया. धनेंद्र साहू ने कहा कि ये भी जरूरी है, लेकिन आपने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को कहां भेज दिया.

साढ़े 3 साल में 22,536 लोगों ने की आत्महत्या- धनेंद्र साहू

उन्होंने कहा कि सड़क में राज्य के लोगों को कितना रोजगार मिलता है. आप ठेकेदार भी बाहर से लाते हैं. साहू ने कहा कि गृह विभाग ने जानकारी दी है कि साढ़े तीन साल में 22,536 लोगों ने आत्महत्या की है. ये प्रदेश की असली तस्वीर है. उन्होंने कहा कि किसानों की मौत को झुठलाने की कोशिश हो रही है. सरकार निराश किसानों के आंकड़े छिपाने की कोशिश कर रही है.

धनेंद्र साहू ने कहा कि सरकार की कार्यप्रणाली किसानों के अनुकूल नहीं रही, इसलिए खेती का रकबा घटता जा रहा है. लोग खेती से भाग रहे हैं. बांध के पानी का उपयोग खरीफ में ही हो पा रहा है. रबी फसलों के लिए पानी नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि केवल चार महीने की खेती से किसानों की उन्नति नहीं हो सकती.

धनेंद्र साहू ने कहा कि सरकार ने इस साल गर्मी के धान की खेती पर बंदिश लगा दिया, लेकिन विरोध के कारण बंदिश वापस लेना पड़ा. फसल बीमा की योजनाएं कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाली हैं.

धनेंद्र साहू ने कहा कि सरकार बोनस देने की बात करती है, जबकि अकाल के कारण फसल हुई ही नहीं है. फसल क्षति का आकलन भी सही तरीके से नहीं हो रहा है.