रोहित कश्यप, मुंगेली। जिले के खैरासेतगंगा निवासी योगेंद्र शर्मा उर्फ लाला भर्रा महाराज पर वर्षों से बड़े पैमाने पर सट्टा कारोबार संचालित करने के आरोप हैं। बताया जाता है कि इनके नेटवर्क के कारण हजारों युवा और महिलाएं ऑनलाइन व मौखिक रूप से सट्टे में फंसते रहे और कई परिवार बर्बादी की कगार पर पहुंच गए। मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बाद पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। इसके बावजूद आरोपी मोबाइल के जरिए अंडरग्राउंड तरीके से धंधा जारी रखे हुए था। ग्रामीणों की शिकायत पर पुलिस ने विशेष टीम बनाकर छापामार कार्रवाई की, जहां पकड़े गए लिखवाई कर रहे आरोपियों ने खुलासा किया कि वे लंबे समय से योगेंद्र शर्मा के लिए काम कर रहे थे। उनके मोबाइल से लाखों रुपये के लेनदेन और अवैध संपत्तियों की जानकारी भी सामने आई। इसी आधार पर पुलिस ने जुआ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया, मगर योगेंद्र शर्मा तब से फरार है।

अवैध निर्माण पर चला बुलडोजर

आरोपी पर न केवल सट्टेबाजी बल्कि शासकीय भूमि पर कब्जा कर दुकानों के अवैध निर्माण का भी आरोप है। ग्रामीणों ने कलेक्टर, एसडीएम और राजस्व अधिकारियों को कई बार शिकायत दी थी। आदेश के बावजूद आरोपी ने अवैध निर्माण हटाने से इंकार कर दिया था। आज राजस्व विभाग, पुलिस, पटवारी और कोटवार की संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर तालाब किनारे और अन्य स्थानों पर बने अवैध दुकानों को जेसीबी से ध्वस्त किया। अधिकारियों का कहना है कि आगे भी आरोपी द्वारा किए गए अन्य अवैध निर्माणों को तोड़ा जाएगा।

अग्रिम जमानत याचिका खारिज

सत्र न्यायाधीश मुंगेली के न्यायालय ने 20 नवम्बर को योगेंद्र शर्मा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। मामला छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिबंध अधिनियम 2022 की धारा 6 से संबंधित है। कार्रवाई तब शुरू हुई जब थाना फास्टरपुर-सेतगंगा पुलिस ने 4 नवंबर 2025 को गोविंद सोनवानी कोसट्टा-पट्टी लिखते हुए पकड़ा। उसके कब्जे से पर्चियां, मोबाइल और नकद जब्त हुए। पूछताछ में उसने बताया कि वह 2021 से योगेंद्र शर्मा के लिए काम कर रहा था और सभी रकम व परिणाम मोबाइल से भेजता था। जांच में प्राप्त बैंक स्टेटमेंट में पाया गया कि गोविंद सोनवानी ने योगेंद्र शर्मा के SBI व ICICI खातों में 3,20,790 रुपये स्थानांतरित किए। न्यायालय ने इसे प्रथमदृष्टया महत्वपूर्ण साक्ष्य माना।

याचिकाकर्ता ने खुद को गल्ला व्यापारी बताकर झूठा फंसाए जाने का दावा किया, मगर लोक अभियोजक रजनीकांत सिंह ठाकुर ने तथ्य और पुराने मामलों का हवाला देते हुए जमानत का कड़ा विरोध किया। जज गिरिजा देवी मेरावी ने आरोपी का क्रिमिनल रिकॉर्ड और बैंक लेनदेन को गंभीर मानते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।