पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. झाखरपारा पंचायत के आश्रित ग्राम केंदुबंद में ग्राम पटेल की दबंगई का मामला सामने आया है. आरोप है कि ग्राम पटेल नियक राम कई पीढ़ियों से घर बनाकर रह रहे परिवारों को घर से बेदखल करने तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है. पीड़ित परिवार ने थाना, तहसील व एसडीएम कार्यालय पहुंचकर अफसरों को आप बीती सुनाकर मदद की गुहार लगाई. एक परिवार ने घर के दरवाजे पर दीवार खड़ा करने पर 8 माह का गर्भ लिए महिला समेत परिवार ने ओडिशा में शरण लिया है.

पीड़ित परिवार के अनिरुद्ध यादव,लखिधर यादव, जीड़ो राम यादव जयलाल यादव, हरलाल समेत 20 से भी ज्यादा ग्रामीणों ने अफसरों को बताया कि केंदुबंद में अभी उनका घर जहां बना है वो बाप दादा के जमाने से बना हुआ है, लेकिन कुछ दिन पहले ग्राम पटेल जमीन का सीमांकन कर सभी के बसाहट इलाके को अपने हक में निकलवा लिया है.इसके बाद घर खाली करने दबाव बना रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि कभी थाने में जाकर गाली गलौच की झूठी रिपोर्ट लिखवा रहा तो कभी गलियों व घर के मुख्य द्वार पर दीवार खड़ा कर रहा है.

इस मामले में ग्राम सरपंच सनत मांझी ने भी 16 दिसंबर को तहसीलदार के नाम पत्र लिख पटेल को निरकुंश होने व जबरन ग्रामीणों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाकर जमीन दोबारा सीमांकन करने का आग्रह किया है. एसडीएम अर्पिता पाठक ने कहा कि ग्रामीणों की शिकायत पर तहसीलदार व थाना प्रभारी को संयुक्त रूप से जांच कर प्रतिवेदन मांगा गया है, जिसके बाद आवश्यक और उचित कार्यवाही की जाएगी.

गर्भवती पत्नी के साथ परिवार को घर से निकाला तो पूरा गांव रोया था
पीड़ित अनिरुद्ध ने बताया कि उसकी पत्नी 8 माह की गर्भवती है, लेकिन पटेल इसकी अनदेखी कर 14 दिसंबर को मेरे माता-पिता समेत घर के 6 सदस्यों को घर से निकाल दिया. घर के सामने मुख्य रास्ते पर इंट की दीवार खडा कर दिया. फिर गाली गलौच कर घर छोडने दबाव बनाया. भरे ठंड में गर्भवती पत्नी व परिवार के साथ 18 किमी दूर ओडिशा प्रवेश किया, जहां झोपड़े में अभी गुजारा कर रहे हैं. गर्भवती स्वाति के आंखों में आये आंसू ने पूरे गांव को रुला दिया था. घर से निकालने की कहानी बताते हुए अनिरुद्ध भी फफक कर रो पड़ा. उसे चिंता है कि उसका पहला बच्चा बेघर मां-बाप के यहां जन्म लेगा.

दहशत में ग्रामीण, मदद नहीं मिली तो सबको बेघर होना पड़ेगा
बुजुर्ग लखिधर ने बताया कि जिस घर में वो बाप दादा के जमाने से रह रहे हैं, वो जमीन अचानक पटेल के नाम कैसे निकल गया. अगर निकल भी गया तो कोई इस तरह से घर कैसे खाली करा सकता है. लगातार मदद की मांग के बीच अब तक ग्रामीणों के बचाव में प्रशासन नहीं आया है. हरलाल यादव ने कहा कि हम तो कम पढ़े लिखे हैं पर अब तक इस तरह घर खाली कराने की घटना भी नहीं देखा है. मदद नहीं मिली तो सभी 6 परिवार के 30 सदस्य जिसमें 8 बच्चे व 10 महिलाएं है सभी को बेघर होना पड़ेगा.

पीड़ितों के पास मौजूद है खरीदी का प्रमाण
पीड़ितों ने अपने साथ एक खरीदी बिक्री का पुराना स्टाम्प पेपर भी रखा हुआ है, जिसमें जीड़ो, जयलाल, हरलाल समेत अन्य के पिता लालमत द्वारा 1972 में फूडा राम यादव से खरीदी का जिक्र है. तब यह हल्का 72 में आया करता था. अचानक अब यह दूसरे के नाम की जमीन नए सीमांकन में ग्राम पटेल नियक राम के नाम से दिखा रहा है. पीडित इसे बन्दोबस्त त्रुटि बता कर विधिवत पूरे ग्रामीणों की मौजूदगी में सीमांकन कराने की मांग कर रहे हैं. ताज्जुब की बात है कि खरीदी बिक्री के स्टाम्प होने के बावजूद पीड़ितों को अब तक कोई मदद नहीं मिल सका है.