चंद्रकांत/बक्सर: जिले के खरहाटांड़ गांव के रहने वाले अभिनेता संतोष ओझा की फिल्म ‘वीर सावरकर’, जिसमें उन्होंने बाल गंगाधर तिलक का किरदार निभाया है, इस वर्ष ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट हो गई है. यह एक बड़ी उपलब्धि है, न केवल संतोष के लिए, बल्कि बक्सर जिले के लिए भी. संतोष का अभिनय और उनकी डायलॉग डिलीवरी ने दर्शकों और फिल्म इंडस्ट्री में गहरी छाप छोड़ी है.
रणदीप हुड्डा ने की अभिनय की सराहना
संतोष ओझा ने फिल्म में तिलक का किरदार निभाने से पहले गहन शोध और अध्ययन किया. उनका मानना है कि ‘लोकमान्य तिलक जैसे ऐतिहासिक किरदार को निभाना आसान नहीं था’. उन्होंने बताया कि इस भूमिका को निभाते वक्त उन्हें अपने भीतर के विद्रोही स्वभाव को तिलक के संघर्ष से जोड़ने में मदद मिली, जो उनके अभिनय में सहजता लेकर आया. फिल्म के अभिनेता और निर्देशक रणदीप हुड्डा ने भी संतोष की मेहनत और अभिनय की सराहना की, जिससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ा.
नेवी से सिनेमा तक का सफर
संतोष ओझा के लिए सिनेमा में कदम रखना आसान नहीं था. उन्होंने पहले भारतीय नेवी में काम किया था, लेकिन उन्होंने अपने दिल की आवाज सुनी और अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. ‘नेवी में कार्यरत रहते हुए भी, मैंने खुद पर विश्वास किया और सिनेमा के क्षेत्र में कदम रखा’, संतोष ने बताया कि यह निर्णय उनके लिए बहुत बड़ा था, लेकिन आज वह अपने उस निर्णय का फल देख रहे हैं.
संघर्ष और सफलता
संतोष ओझा का जीवन एक लंबी मेहनत और संघर्ष की कहानी है, जिसमें उन्हें न केवल अपनी सफलता के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी, बल्कि परिवार और समाज के विरोध का भी सामना करना पड़ा. हालांकि उन्होंने सभी चुनौतियों को पार किया और आज उनके अभिनय के कारण वे दर्शकों के दिलों में जगह बना चुके हैं.
आगे का सफर
संतोष का मानना है कि यह केवल शुरुआत है. वह आगे और बेहतर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक पहुंचने में कई सालों की मेहनत और संघर्ष शामिल है. मेरी यात्रा अभी जारी है. उनके इस उत्साह और मेहनत ने उन्हें अपनी पहचान बनाने में मदद की है.
जिले में खुशी की लहर
संतोष ओझा की फिल्म के ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने पर बक्सर जिले में खुशी की लहर है. जिले के कला प्रेमियों और बुद्धिजीवियों ने उन्हें बधाई दी है और बक्सर का मान बढ़ाने के लिए आभार व्यक्त किया है. लोग यह भी उम्मीद जताते हैं कि इस फिल्म को ऑस्कर जरूर मिलेगा और बक्सर के इस लाल का डंका पूरे विश्व में बजेगा.
प्रेरणा का स्रोत
यह घटना केवल एक व्यक्ति की सफलता की कहानी नहीं, बल्कि एक जिले के लिए गर्व की बात है, जिसने अपने संघर्ष और मेहनत के साथ यह मुकाम हासिल किया है. संतोष ओझा की यात्रा आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है. बता दें कि ऑस्कर 2025 में बेस्ट फिल्म कैटेगिरी के लिए नॉमिनेटेड भारतीय फिल्मों की लिस्ट में ‘कंगुवा’ (तमिल), ‘आदुजीविथम’ (द गोट लाइफ) (हिंदी), ‘संतोष’ (हिंदी), ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ (हिंदी), ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ (मलयालम और हिंदी), ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ (हिंदी और अंग्रेजी) और ‘पुतुल’ (बांग्ला) शामिल हैं.
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