प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मानव की वस्तु की तरह खरीद-फरोख्त समाज पर गहरा काला धब्बा है. नाबालिग को देह व्यापार में धकेलना केवल पीड़िता ही नहीं समाज के विरुद्ध अपराध है. कोर्ट ने नाबालिग लड़की को खुले बाजार में सब्जी की तरह खरीदने एवं शारीरिक शोषण की सुविधा के लिए शादी का जामा पहनाने वाले शाहजहांपुर के थाना क्षेत्र निगोही के निवासी मोहरपाल मौर्य को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है. 

न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देह व्यापार, बंधुआ मजदूरी, बेगार को संविधान के अनुच्छेद 21 सहित कई कानूनों के तहत प्रतिबंधित किया गया है. बाल कल्याण समिति व एनजीओ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं. कोर्ट ने तमाम एनजीओ से समाज में जागरूकता लाने और बच्चों को बचाने की कोशिश करने की अपील की है, ताकि बच्चे रैकेट के चंगुल में फंसने न पाएं. 

बाल मजदूरी व बाल बेगार को हतोत्साहित किया जाए. कोर्ट ने कहा, आरोपियों ने यौनशोषण के लिए पीड़िता के शरीर से शादी की, उसने भावना व मस्तिष्क से संबंध नहीं बनाए. कोर्ट ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2018 से 2020 तक क्रमश: 941, 883 एवं 750 नाबालिग बच्चों का यौन शोषण किया गया. 18 साल से अधिक आयु की लड़कियों के विरुद्ध अपराध की संख्या क्रमश: 2772, 2863, 2135 बताई गई है. 

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पीडि़ता के पिता ने एक संदिग्ध सह अभियुक्त पर अपहरण के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई. 14, 15 साल की नाबालिग लड़की 29 सितंबर 20 से लापता बताई गई. 25 फरवरी 22 को पीड़िता वापस मिली. उसने बताया कि गौरव उर्फ सोनू शारीरिक शोषण करता रहा. उसके बाद उसने याची के हाथ 60 हजार रुपए में बेचकर देह व्यापार में धकेल दिया.

याची ने उससे शादी कर एक साल अपने साथ रखा. फिर गौरव ने पीड़िता को सुरेंद्र कुमार उर्फ शनि के हाथ 50 हजार रुपए में बेच दिया. वह चार माह उसके साथ पत्नी की तरह रही. रोज दुष्कर्म किया जाता रहा. फिर सह अभियुक्त रिंकू ने कोर्ट में शादी की. वह जहां से बचकर निकल आई.

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