रायपुर। वर्ष 2020 चंद दिनों के बाद इतिहास के पन्नों में समा जाएगा. कोराना वायरस से शापित साल में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े दिग्गज लोग इस दुनिया को छोड़कर चले गए. ऐसे लोग जिन्होंने खुद के बलबूते अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज किया. उनके जाने का दुख लंबे समय तक लोगों को याद रहेगा.

 

प्रणब मुखर्जी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भारत के 13वें राष्ट्रपति भारत रत्न प्रबण मुखर्जी का 31 अगस्त को 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. कोरोना से उबरने के बाद उससे जुड़ी जटिलताओं की वजह से प्रबण मुखर्जी का निधन हुआ था. बतौर राजनेता उन्होंने एक लंबा सफर तय किया. कांग्रेस सरकार में इंदिरा गांधी से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में उन्होंने वित्त से लेकर वाणिज्य, रक्षा और विदेश मंत्रालय का दायित्व संभाला. इसके अलावा वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे. प्रबण मुखर्जी की गिनती सुलझे और जानकार राजनेता के तौर पर हुआ करती थी. उन्हें इतिहास और संविधान की भी अच्छी जानकारी थी.

राम विलास पासवान

राजनीति में हवा के रुख को भांप लेने वाले नेता के तौर पर जाने जाने वाले रामविलास पासवान 8 अक्टूबर को 74 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कर दिया. उन्होंने अपने दम पर राजनीतिक दल लोक जनशक्ति पार्टी खड़ी कर बिहार के पिछड़े वर्ग की आवाज बने थे. करीबन पांच दशकों के लंबे राजनीतिक सफर में उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से लेकर बाद के आने वाले तमाम सरकार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. जनता पार्टी के सांसद के तौर पर 1977 में पहली बार लोकसभा में पहुंचने वाले रामविलास पासवान पांच बार हाजीपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. छह प्रधानमंत्रियों के अधीन काम कर चुके पासवान दिल्ली में दलितों का चेहरा माने जाते थे.

जसवंत सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी माने जाने वाले जसवंत सिंह ने सेना से राजनीति में कदम रखा था. लंबी बीमारी के बाद उनका 82 वर्ष की उम्र में 27 सितंबर को निधन हो गया. वाजपेयी सरकार के दौरान उन्होंने रक्षा से लेकर विदेश और वित्त विभाग की कमान बखूबी संभाली थी. जसवंत सिंह को पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद बदली परिस्थितियों में अमेरिका से खराब हुए संबंध को पटरी पर लाने का श्रेय दिया जाता है. इसके अलावा दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस विमान के अपहरण के बाद उसमें सवार 190 यात्रियों को तालिबान की चुंगल से छुड़ाने के लिए तीन कट्टर आतंकवादियों को छोड़े जाने के लिए भी सुर्खियों में रहे.

अहमद पटेल

कांग्रेस के तारणहार माने जाने वाले अहमद पटेल का 25 नवंबर को 71 वर्ष की उम्र में मल्टी आर्गन फैल्यर की वजह से निधन हो गया. लंबे समय तक पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे अहमद पटेल की खास बात कांग्रेस नेतृत्व के प्रति उनकी निष्ठा रही. यही वजह है उनके निधन के बाद सोनिया गांधी ने कहा कि मैंने एक सहयोगी को खो दिया है, जिसका पूरा जीवन कांग्रेस को समर्पित था. मैं एक वफादार सहयोगी और एक दोस्त खो चुकी हूं. अहमद पटेल के बारे में कहा जाता था कि वह इतने पावरफुल थे कि मंत्री न होकर भी वह मंत्रियों से ज्यादा अहमियत रखते थे. वे अक्सर पर्दे के पीछे ही काम करना पसंद करते थे.

मोतीलाल वोरा

मोतीलाल वोरा का 93 वर्ष की उम्र में 21 दिसंबर को निधन हो गया. मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे मोतीलाल वोरा ने पार्षद से सांसद तक का सफर किया था. अहमद पटेल की तरह पार्टी के प्रति मोतीलाल वोरा की वफादारी का ही परिणाम था कि उन्हें पार्टी का कोषाध्यक्ष के साथ पार्टी में अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी. यहां तक जब अहमद पटेल कोषाध्यक्ष थे, तब भी वोरा और पटेल, दोनों मिलकर ही चेक पर दस्तखत करते थे. कांग्रेस में कितना पैसा आ रहा है और जा रहा है, इसका पूरी ईमानदारी से हिसाब रखते थे. पैसा कहां से आ रहा है, कहां खर्च हो रहा है, इस बात को लेकर सोनिया गांधी निश्चिंत रहती थीं.

सौमित्र चटर्जी

बंगाली सिनेमा के स्तंभ दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता सौमित्र चटर्जी का 15 नवंबर को कोविड से जुड़ी समस्याओं की वजह से 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. सौमित्र चटर्जी ने आपूर संसार, चारुलता, घरे बाहिरे सहित सत्यजित राय की 14 फिल्मों में काम किया था, यही नहीं उन्होंने सत्यजीत राय के जासूसी किरदार फालूदा की भी जीवंत किया. कहा तो यह भी जाता है कि सत्यजीत राय ने सौमित्र चटर्जी को ही देखकर इस पात्र को रचा था. उन्होंने एक-दो नहीं बल्कि तीन पीढ़ियों को अपने अभिनय से मनोरंजन किया. सौमित्र चटर्जी न केवल अच्छे कलाकार थे, बल्कि राजनीतिक सोच रखने वाले व्यक्ति भी थे.

एसपी बालासुब्रमण्यम

अपनी गायकी का लोहा मनवाने वाले एसपी सुब्रमण्यम भी कोरोना के शिकार हो गए. 74 वर्ष की उम्र में उन्होंने 25 सितंबर को चेन्नई के अस्पताल में अंतिम सांस ली. एसपीबी के नाम से लोगों के बीच जाने जाने वाले बाला सुब्रमण्यम केवल दक्षिण भारत में ही नहीं बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी बराबर की पकड़ रखे हुए थे. उन्होंने एक-दो नहीं बल्कि 16 भारतीय भाषाओं में गाना गाया है. छह बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बाला सुब्रमण्यम ने अपने पांच दशक के करियर में 40 हजार से ज्यादा गाना गाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराया था. पद्मभूषण एसपीबी हिन्दी फिल्मों में सलमान खान की आवाज बन गए थे. वे केवल फिल्मी ही नहीं बल्कि क्लासिकल गानों में पारंगत थे.

सुशांत सिंह राजपूत

इस साल दुनिया छोड़कर जाने वालों में सबसे ज्यादा किसी की चर्चा हुई तो वह बॉलीवुड कलाकार सुशांत सिंह राजपूत की असमय मौत है. सुशांत सिंह राजपूत का शव उनके बांद्रा स्थित अपार्टमेंट में 14 जून को पाया गया था. 34 वर्षीय सुशांत की मौत ने सबको झकझोर दिया. रंक से राजा बनने की कहानी को एक तरह से परिभाषित करने वाले सुशांत सिंह राजपूत ने बिहार से अपनी यात्रा मुंबई के लिए शुरू थी. टीवी सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ से दर्शकों से हुआ और काई पो चे से उन्होंने बड़े स्क्रीन में प्रवेश किया. एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी, सोनचिरैय्या, छिछोरे और केदारनाथ से अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले सुशांत की मौत ने बॉलीवुड में वंशवाद की बहस छेड़ दी.

सरोज खान 

तीन बार की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बॉलीवुड की वरिष्ठ कोरियोग्राफर सरोज खान का 3 जुलाई को 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. ‘मास्टरजी’ के नाम से फिल्मी कलाकारों के बीच चर्चित सरोज खान 80 के दशक में श्रीदेवी की नगीना और हवा हवाई जैसे गानों के साथ माधुरी दीक्षित के धक, धक गाने में कोरियोग्राफी करने के साथ राष्ट्रीय परिदृश्य में छा गईं थी. सरोज खान के नाम पर माधुरी दीक्षित के एक, दो, तीन जैसे गानों के साथ 2000 से ज्यादा गानों में कोरियोग्राफी की थी. उन्होंने 2019 में करण जोहर की फिल्म कलंक में माधुरी दीक्षित को तबाह हो गए गाने के लिए कोरियोग्राफ किया था.

इरफान खान

पान सिंह तोमर, हिन्दी मीडियम जैसी फिल्मों से अपने अभिनय को लोहा मनवाने वाले इरफान खान ने कैंसर से लंबे समय तक जूझने के बाद 29 अप्रैल को 54 वर्ष की अल्पआयु में मुंबई में अंतिम सांस ली. पान सिंह तोमर के लिए उन्हें वर्ष 2012 में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था. इरफान खान ऐसे चुनिंदा कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने न केवल बॉलीवुड में बल्कि हालीवुड की फिल्मों में भी नाम कमाया. स्लमडॉग मिलेनियर, इंफर्नो और लाइफ ऑफ पाई जैसी फिल्मों में गजब की अभिनय क्षमता का परिचय दिया. अंग्रेजी मीडिया उनकी आखिरी फिल्म थी, जिसमें लोगों ने उनके अभिनय की सराहना की.

ऋषि कपूर

बॉलीवुड के स्थापित कपूर खानदार के सदस्य ऋषि कपूर ने ल्यूकोमेनिया से दो साल तक संघर्ष करने के बाद 30 अप्रैल को 67 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. कपूर खानदान की जिंदादिली को प्रतीक ऋषि कपूर ने श्री 420 से कम उम्र में ही फिल्मों में पदार्पण कर लिया था, लेकिन नाम ‘बॉबी’ से कमाया. चार दशकों के लंबे फिल्मी करियर में उन्होंने 90 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया. चॉकलेटी हीरो की छवि वाले ऋषि कपूर ने उम्र के हर पड़ाव में अऩ्य साथी कलाकारों की तुलना में ज्यादा सक्रिय रहे. उनके साथ वाले कलाकार जब रिटायर्ड होने की कगार पर थे, तब ऋषि कपूर फिल्मों में हीरो की भूमिका निभा रहे थे. बुजुर्ग होने के बाद भी वे फिल्मों में सक्रिय थे.