प्रतीक मिश्र,गरियाबंद. कंधों से मिलते हैं कंधे, कदमों से कदम मिलते हैं, हम चलते हैं जब ऐसे, तो दिल दुश्मन के हिलते हैं.

हर कदम पर हर क्षेत्र में आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहीं हैं. देश की ऐसी ही एक बेटी है निहारिका सिन्हा. गरियाबंद के फिंगेश्वर ब्लॉक के मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली निहारिका छत्तीसगढ़ की पहली महिला कमांडेंट हैं. वो आज के तमाम युवाओं के लिए एक मिसाल हैं.

सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की पहली महिला बैच में देशभर से केवल चार महिलाओं का सिलेक्शन हुआ था. जिसमें एक निहारिका भी हैं. वे रावघाट रेललाइन मार्ग की सुरक्षा के लिए अंतागढ़ व रावघाट में तैनात हैं. जहां हर पल नक्सली हमले का खतरा बना रहता है. सिर्फ इतना ही नहीं. वे पुरुष जवानों के बीच एकमात्र महिला अफसर हैं जो उनका नेतृत्व कर रहीं हैं.

निहारिका के पिता महेश सिन्हा भिलाई में विशेष अपराध शाखा में हैं. निहारिका ने अपनी पढ़ाई भिलाई-दुर्ग से पूरी की है. 12वीं की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने CSIT कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच में इंजीनियरिंग की. बैंकिंग और पुलिस की परीक्षा पास करने के साथ ही निहारिका भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली में कार्यरत रहते हुए सिविल परीक्षाओं में भी चयनित हुईं लेकिन दिल में देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत से निहारिका ने सशस्त्र सीमा बल को चुना.

कमांडेंट बनने के बाद निहारिका का कहना है कि “लड़कियां कभी ये ना सोचें कि वो कुछ नहीं कर पाएंगी. बल्कि दृढ़ निश्चय के साथ काम करें. लक्ष्य निर्धारित रखें. तभी सफलता मिलेगी. इसे मैंने किया और देश की बाकी उन लड़कियों से भी करने की अपील करूंगी.”

वहीं निहारिका के बारे में उनके पिता महेश सिन्हा व माता शोभा सिन्हा कहते हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर बहुत गर्व है.