रायपुर- कॉनफेडरेशन ऑफ आल इंड़िया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि ई कंपनियों द्वारा गृह मंत्रालय के 30 अप्रैल, 2020 को जारी किए गए आदेश के प्रावधानों की गलत व्याख्या की जा रही है.कैट ने आरोप लगाया कि देश की कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां अपने निजी फायदे के लिए इस आदेश को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हुए कह रही हैं कि अब वो ऑरेंज एवं ग्रीन जोन में गैर जरूरी उत्पादों की बिक्री कर सकती हैं जबकि गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में ऐसी किसी अनुमति को स्पष्ट ही नहीं किया है ! ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा इस तरह की गलत व्याख्या के कारण को लेकर कैट ने आज रक्षा मंत्री एवं कोविड-19 पर गठित मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष राजनाथ सिंह को एक पत्र भेजा है जिसमें इस मुद्दे पर सरकार की ओर से इसे  तुरंत स्पप्ष्टीकरण दने का आग्रह किया है ! कैट ने इसी आशय का पत्र गृह मंत्री अमित शाह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भी भेजा है !
अपने पत्र में कैट ने कहा कि गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार यह बहुत स्पष्ट किया गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल रेड ज़ोन में आवश्यक सामान देने की अनुमति है जो वास्तव में सरकार की मंशा है ! उक्त आदेश में कहीं भी नहीं कहा गया है कि ऑरेंज और ग्रीन जोन में गैर-जरूरी सामानों की डिलीवरी ई कॉमर्स कंपनियां कर सकती हैं ! जबकि ये ई-कॉमर्स कंपनियां अपने निजी लाभ के लिए यह गलत व्याख्या कर रही हैं. अपने पत्र में कैट ने कहा कि यह बहुत अनुचित होगा यदि ई कॉमर्स कंपनियों को सभी प्रकार के गैर-आवश्यक सामान की बिक्री करने की अनुमति दी जाती है जबकि खुदरा विक्रेताओं को केवल आवश्यक वस्तुओं में ही व्यापार करने की अनुमति है। इससे बाजार में असंतुलन पैदा होगा और अनावश्यक टकराव को बढ़ावा मिलेगा।
‌उधर दूसरी ओर कैट ने राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल  एवं  राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अपने लाभ के लिए अस्थिर करने के लिए कोविड-19 के विश्व भर में हुए संक्रमण में चीन की संभावित भूमिका को देखते हुए, कैट  ने देश भर में  “चीनी सामान का परित्याग ” करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने का फैसला किया है। खंडेलवाल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय व्यापार काफी हद तक चीन पर निर्भर है और पिछले वर्षों में व्यापारियों द्वारा उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चीन को छोड़कर अन्य किसी देश की पहचान करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। कोविड -19 के कड़वे अनुभवों को देखते हुए भारत के व्यापारी अब काफी हद तक चीन पर अपनी निर्भरता कम कर देंगे।
कैट ने देश के प्रख्यात चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया की अध्यक्षता में देश के वरिष्ठ व्यापारी नेताओं का एक कार्यकारी समूह का गठन किया है, जो कैट  के ” चीनी वस्तुओं के परित्याग” ‘राष्ट्रीय अभियान को देश भर में गति देगा ! कैट ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है इस वर्ष आगामी  दिवाली के त्यौहार पर लगभग 2000 करोड़ रूपए का सामान कम आयात हो  इस अभियान के तहत कैट देश के उन आयातकों को चीन से आयात करते हैं , उन्हें चीन से आयात करने वाले उत्पादों पर वो अंकुश लगाए और चीन के स्थान पर अन्य देशो से आयात करने पर जोर दें !
भारत का चीन से व्यापार मुख्य रूप से तीन वर्टिकल के लिए चीन पर निर्भर है यानी चीन से तैयार माल का आयात, विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चा माल और विभिन्न इकाइयों द्वारा भारत में निर्मित होने वाले उत्पादों के स्पेयर पार्ट्स। कैट का वर्किंग समूह पहले उन सामानों की पहचान करेगा जिनके बिना लोगों का जीना संभव है ऐसे में खिलौने, बिजली के सामान, फर्नीचर, उपहार की वस्तुएं ,बिल्डर हार्डवेयर, कपडा आदि शामिल हैं जिनको व्यापारियों द्वारा  इन चीनी उत्पादों को नहीं बेचने और उपभोक्ताओं को नहीं खरीदने का आह्वान करेंगे।कैट समूह उन चीनी सामानों की पहचान करेगा जो या तो भारत में उत्पादित किए जा सकते हैं या किसी अन्य राष्ट्र से प्राप्त किए जा सकते हैं और तीसरी श्रेणी उन सामानों की है जो वर्तमान परिदृश्य में अपरिहार्य हैं और उन्हें भारत में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत अपने ही देश में उत्पादित किया जा सके !
कैट ने सरकार से कहा कि जो चीनी उत्पाद घरेलू उधोग या व्यापार के लिए बहुत जरूरी नहीं हैं उन पर सरकार कस्टम ड्यूटी में वृद्धि करे ! कैट ने सरकार से आग्रह किया है की भारत के लघु उद्योगों को ऐसे सामानों के बड़े स्तर उत्पादन पर उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करे और इसके लिए इन लघु उधोगों को सरल तरीके से बैंकों से ऋण मिले तथा आवश्यक टेक्नॉलजी को लघु उद्योगों के लिए उपलब्ध कराया जाए जिससे वो अपनी क्षमता का अधिक से अधिक उत्पादन करें ! सीएआईटी ने सरकार से उन संभावित विदेशी निर्माताओं की पहचान करने का भी आग्रह किया है जो “मेक इन इंडिया” अवधारणा के तहत भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित कर सकते हैं। इन कदमों से देश को चरणबद्ध तरीके से चीनी उत्पादों से निर्भरता से छुटकारा मिल सकेगा और वह भी कम समय में।