हिंदू धर्म में किसी भी प्रकार की पूजा पाठ में कपूर का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। कपूर का इस्तेमाल बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि पूजा के समय कपूर जलाया जाए तो घर में हमेशा सुख शांति बनी रहती है। साथ ही साथ नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। वहीं कपूर को सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। इससे निकलने वाला धुआं वातावरण को शुद्ध करने के साथ कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह कपूर आखिर बनता कैसे हैं आज हम आपकों बताएंगे की कपूर कैसे बनाया जाता हैं, तो चलिए जानते हैं।
कांफोर ट्री से बनाया जाता है कपूर (Camphor Used in Puja)
सही मायने में कपूर पेड़ से बनाया जाता हैं। लेकिन आजकल बाजारों में इसकी बढ़ती हुई मांग के चलते इसे लैब और फैक्ट्री में बनाया जाने लगा हैं। लेकिन असली कपूर को पेड़ से ही बनाया जाता हैं। कांफोर ट्री नामक पेड़ से कपूर बनाया जाता हैं। इसे आसान भाषा में कपूर का पेड़ भी कहा जाता हैं। पेड़ की छाल और पत्तियों की मदद से कपूर तैयार किया जाता हैं। कपूर के भी कई प्रकार होते हैं। इन्हें अलग अलग तरीकों से बनाया जाता हैं। अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा की आखिर पेड़ की छाल और पत्तियों से कपूर का रूप कैसे दिया जाता हैं? तो चलिए समझते हैं।
पेड़ से कैसे बनाया जाता है कपूर?
कपूर के पेड़ की छाल को पहले गरम किया जाता हैं। फिर इनसे निकली भाप से पावडर तैयार किया जाता हैं। इसके बाद इस पाउडर से ही कपूर के अलग अलग आकार बनाए जाते हैं। कपूर के सबसे ज्यादा पेड़ एशिया में पाए जाते हैं जिस वजह से भारत में इसकी कीमत अधिक हैं। एशिया के बाद चीन, जापान, और ताइवान जैसे देशों में कपूर के पेड़ पाए जाते हैं।
लैब या फैक्ट्री में कैसे बनता है कपूर
बाजारों में कपूर की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कई लोग लैब या फैक्ट्री में कपूर बनाते हैं। इसके लिए उन्हें मशीन और केमिकल का इस्तेमाल करना पड़ता हैं। एक तारपीन का तेल आता हैं जिसमें कुछ केमिकल रिएक्शन कर कपूर को तैयार किया जाता हैं। कपूर का केमिकल फार्मूला C10H16O है। इसे बनाने में कई केमिकल का उपयोग किया जाता हैं जिसमें पॉलिख्लोरो एथिलीन क्लोराइड, सेलुलोस नाइट्रेट आदि शामिल हैं।