कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने एक अहम मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) को सिविल कोर्ट के अधिकार प्राप्त है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली केंटोनमेंट बोर्ड जबलपुर की याचिका को खारिज कर दिया।
दरअसल, जबलपुर कैंट बोर्ड ने 2014 में मोदी बाड़ा इलाके में संचालित सांची कॉर्नर को अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया था। जबकि कैंट बोर्ड द्वारा ही 1997 में दुकान स्वीकृत की गई थी। दुकानदार ने बोर्ड की इस कार्रवाई के खिलाफ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत की। इसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने कैंट बोर्ड को तीन महीने के अंदर शिकायतकर्ता को दुकान बनाकर क्षतिपूर्ति देने का आदेश था।
आयोग के इस आदेश को कैंटोनमेंट बोर्ड ने जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने यह कहते हुए चैलेंज करने वाली याचिका को खारिज कर दिया कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को इस तरह के आदेश देने का संवैधानिक अधिकार है।
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