भुवनेश्वर. बच्चे की अदला-बदली जैसे आरोपों से बचने के लिए अब कैपिटल हॉस्पिटल में नवजात शिशुओं के पैर में एक टैग लगाया जाएगा. हाल ही में हुए बच्चे की अदला-बदली के आरोप के बाद अस्पताल के अधिकारियों ने जन्म के तुरंत बाद बच्चों के पैर में एक टैग लगाने का निर्णय लिया है. बता दें कि एक जोड़े ने अस्पताल प्रशासन पर उनका बच्चा बदलने के आरोप लगाया था. जो आरोप डीएनए टेस्ट में गलत साबित हुआ.


कैपिटल हॉस्पिटल के निदेशक लक्ष्मीधर साहू ने कहा, “प्रसव के तुरंत बाद मां को नवजात के लिंग के बारे में सूचित किया जाएगा. बच्चे के फूट प्रिंट रखे जाएंगे और उपस्थित कर्मचारी बच्चे के संबंध में सभी विवरण लिखेंगे.’ उन्होंने बताया, “अब से अटेंडेंट नवजात शिशुओं के लिंग का डॉक्टरों से वेरिफाई करवाएंगे और फिर परिवार के सदस्यों को सूचित करेंगे. ताकि, कोई गलत संदेश न जाए. इसके अलावा अगर बच्चा स्वस्थ है, तो उसके पैर में एक टैग बांध दिया जाएगा, ताकि कोई भ्रम पैदा न हो.’

उन्होंने आगे कहा कि जो लोग बच्चा बदलने का गलत आरोप लगा रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे लोगों के कारण पुलिस और कोर्ट का कीमती समय बर्बाद होता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. साहू ने कहा, “अस्पताल एक मंदिर है. यह कोई व्यापारिक केंद्र नहीं है. इसलिए यहां बच्चों की अदला-बदली का कोई सवाल ही नहीं है. जो लोग इस तरह के आरोप लगाकर अस्पताल की प्रतिष्ठा धूमिल कर रहे हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. हम ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने पर भी विचार कर रहे हैं.’

स्टाफ ने दी थी गलत जारकारी

इधर, कैपिटल अस्पताल के अधिकारियों के खिलाफ बच्चे की अदला-बदली का आरोप लगाने वाले प्राणकृष्ण विश्वाल ने भी अस्पताल के खिलाफ मामला दर्ज करने की बात कही है. उन्होंने कहा सारी गलती अस्पताल कर्मचारियों की है. “मैंने कोई झूठ नहीं बोला है. मैंने वही कहा जो उनके स्टाफ ने मुझसे कहा था. उन्होंने इस गलती के लिए स्टाफ को सस्पेंड कर दिया है. उनकी गलती के कारण मुझे डीएनए रिपोर्ट के इंतजार में 12 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा. मैं तनाव में था. बिस्वाल ने कहा, इसलिए मैं मेरा समय बर्बाद करने और मुझे तनाव में डालने के लिए कैपिटल अस्पताल के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करूंगा.

बता दें कि केंद्रपाड़ा जिले के राजकनिका क्षेत्र के निवासी प्राणकृष्ण बिस्वाल ने कहा था कि उनकी पत्नी ने 25 सितंबर को रात लगभग 10:30 बजे एक बच्चे को जन्म दिया. उनके परिवार को एक बेटे के जन्म के बारे में सूचित किया गया था. हालांकि, जब उन्होंने शिशु की तस्वीर लेने की कोशिश की तो उन्हें पता चला कि यह एक बच्ची थी.

इस संबंध में उन्होंने कैपिटल थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद अदालत के मानदंडों के अनुसार मां और नवजात शिशु के रक्त के नमूने एकत्र किए गए और उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया. पुलिस ने उन्हें डीएनए परीक्षण के लिए राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एसएफएसएल) भेजा था. डीएनए रिपोर्ट ने पुष्टि की कि बच्चे की अदला-बदली का आरोप झूठा था और दंपति को एक कन्या रत्न ही प्राप्त हुई थी.