रायपुर। राजधानी में आयोजित धर्म संसद में कालीचरण बाबा का विवादित बयान से देशभर में हंगामा मचा हुआ है. कांग्रेसी नेता समेत साधु-संतों ने भी इसका विरोध किया है. कालीचरण की ‘काली जुबान’ से गांधी को गाली निकली है. ऐसे में लोगों में खासा आक्रोश है. देर रात पीसीसी चीफ मोहन मरकाम और सभापति प्रमोद दुबे ने FIR दर्ज कराई है. इसी कड़ी में LALLURAM.COM के राजनीतिक संपादक रुपेश गुप्ता ने प्रमोद दुबे से बातचीत की.
इस दौरान प्रमोद दुबे ने कालीचरण पर कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए. संत समाज के जो प्रमुखजन हैं, वह ऐसे लोगों का चिन्हित करें और संत समाज से बाहर का रास्ता दिखाएं. कालीचरण जिस भाषा का उपयोग कर रहे थे, उसे संतों का भाषण पता ही नहीं कहा जा सकता. वह संतों की श्रेणी में नहीं आता. ऐसे लोगों आईडेंटिफाई करके संत समाज से बाहर करने की मांग की है.
दुबे ने कहा कि कालीचरण जैसे लोगों को साधु संत बाहर का रास्ता दिखाएं. साधु संत सभा को इस पर सोचना चाहिए. यह संत की वाणी नहीं हो सकती. इनको बाहर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं इस पर उस समय कुछ कह देता, लेकिन वह धार्मिक मंच था. वहां कुछ कहता तो मेरे ऊपर ही गलत आरोप लग जाते, जो मेन मुद्दा है उससे लोग भटक जाते. इसलिए मैं उस समय कुछ भी कहना ठीक नहीं समझा.
प्रमोद दुबे ने कहा कि यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था, हम लोग धार्मिक लोग हैं. ऐसे अनेक आयोजन होते हैं. वहीं उन्होंने इशारे-इशारे पर बीजेपी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जो लोग हैं और इसका फायदा लेना चाहते हैं, उनको भी सोचना चाहिए. हम लोगों ने भी एक ही है कि साधु-संतों का जो काम होता है, वह दशा और दिशा देना है. राजनीतिक में अपने एजेंडा में इसको ना रखें. साधु-संतों का ये काम नहीं है.
सभापति प्रमोद दुबे ने कहा कि इस कार्यक्रम के पहले ही कह दिया गया था कि राजनीतिक मुद्दा इस पर ना रखें धर्म की बात उसने इसके बावजूद भी यह सब बातें की गई. यह सब शोभा नहीं देता. मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूं. यह संत नहीं हो सकता, जो इस विचारधारा के हैं. इस तरह की विचारधारा वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. इसलिए मैंने मुकदमा दर्ज कराया है.
दरअसल, धर्म संसद में कालीचरण ने राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी पर विवादित बयान दिया है. कालीचरण ने महात्मा गांधी के लिए अपशब्द का प्रयोग करते हुए गोडसे को प्रणाम किया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की वजह से देश का विभाजन हुआ, गोडसे को नमस्कार है कि उन्होंने महात्मा गांधी को गोली मार दी. उनको मार डाला.
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वहीं उन्होंने कहा कि इस्लाम का मकसद राजनीति के जरिए राष्ट्र पर कब्जा करना है. 1947 में हमने अपनी आंखों से देखा कि कैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश पर इस्लामाबाद ने कब्जा किया. मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया. कालीचरण ने अपने विवादित बोल में कहा कि गांधी…ह…मी…थे..
इस बयान के बाद धर्म संसद में हंगामा मच गया था. महंत राम सुंदर दास ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि क्या महात्मा गांधी सही में ग…र थे, बिल्कुल नहीं उन्होंने खुद को देश के प्रति समर्पित किया था, महात्मा गांधी के विषय में बहुत ही अपमान जनक बातें कही गई, जो अशोभनीय है, मैं इस धर्म संसद से खुद को अलग करता हूं.
उन्होंने कहा कि मुझे धर्म संसद का मूल संरक्षक बनाया गया था, लेकिन मैं अपने आप को इस धर्म संसद से पृथक करता हूं. इस धर्म संसद का मंथन कुछ भी नहीं निकला, संतों का काम अपशब्द कहना नहीं है, लोगों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक करना है. महंत रामसुंदर दास ने धर्म संसद का बॉयकॉट किया. धर्मसंसद में आए दूसरे संतों ने बॉयकॉट को संतों का अपमान बताया.
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