नई दिल्ली। डालमिया भारत ग्रुप ने जबसे लाल किले को गोद लिया है, तब से इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कुछ लोग इस पर नाराज़गी जता रहे हैं तो कुछ लोग इसे एक अच्छा कदम बता रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा विवाद इस बात पर है कि खबरों के मुताबिक सरकार और कंपनी के बीच 25 करोड़ रुपए का करार हुआ है.

लेकिन अब सरकार ने ऐसे किसी भी अनुबंध से इनकार किया है. केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि सरकार और कंपनी के बीच पैसे का किसी भी तरह का लेनदेन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि लाल किले को गोद दिया गया है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि केंद्र सरकार के पास पैसे नहीं हैं. महेश शर्मा ने कहा कि “जनता की भागीदारी बढ़े, इसके लिए 2017 में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने पुरातत्व विभाग के साथ मिलकर एक योजना शुरू की, जिसका नाम था ‘अडॉप्ट अ हेरिटेज-अपनी धरोहर अपनी पहचान’ यानि आप अपनी किसी धरोहर को गोद लें.”

अडॉप्ट अ हेरिटेज योजना के तहत कंपनियों को इन धरोहरों की सफाई, सार्वजनिक सुविधाएं देने, वाई-फाई की व्यवस्था करने और इससे गंदा होने से बचाने की ज़िम्मेदारी लेने के लिए कहा गया था.

महेश शर्मा ने ये भी बताया कि लाल किले के किसी भी हिस्से के रखरखाव का काम पुरातत्व विभाग ही करेगा, सिर्फ यहां सुविधाएं विकसित करने का काम डालमिया भारत ग्रुप करेगा. डालमिया ग्रुप ने ये भी कहा कि कंपनी ने आगामी पांच सालों के लिए दिल्ली के लाल किला और आंध्र प्रदेश के कडप्पा स्थित गंडीकोटा किले को भी गोद लिया है.

मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं शताब्‍दी में लाल किले को बनवाया था.