राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दलितों पर हो रहे अत्याचार पर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कुछ गांव में विवाद की स्थिति पैदा हो रही है कि घोड़े पर बैठने देना, नहीं बैठने देना. यह समाज को तोड़ने के प्रयास भी हो सकते हैं. पीछे से लोग इसको बल दे रहे हैं, तो हमको दोनों समाजों को जोड़कर रखना है. मैं सभी सांसद और विधायक साथियों से भी कह रहा हूं कि हमको इसे बहुत चिंता से देखना चाहिए. हमारे अपने लोग हैं और हमारा अपना समाज है.
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इसमें छोटी सी बात को लेकर कोई एक पक्ष को भड़का देता है, तो कोई दूसरे पक्ष को भड़का देता है. इससे बात की बात हो जाती है. वैसे समाज में खाई पैदा ना हो इसके लिए हम कार्रवाई करे. जिन्होंने पथराव किया, उन पर कार्रवाई बिल्कुल सही है. नहीं तो परमानेंट खाईया समाज के बीच में पैदा होंगी, जो समाज के लिए अच्छा नहीं है. हम लोग तो आएंगे जाएंगे लेकिन समाज तो अपना यही रहेगा ना.
इसलिए जहां-जहां यह घटना हुई है केवल प्रशासन ही नहीं जनप्रतिनिधि भी उनमें सद्भाव पैदा करने की बैठक करें. उनमें दोनों पक्षों को समझाएं. अब दलित गैर दलित क्यों हो, दलित भी अपने हैं. गैर दलित के साथ भी अन्याय नहीं होना चाहिए, लेकिन खाईया भी नहीं बनना चाहिए. एक सामंजस्य कैसे पैदा हो ? हम दोनों चीजों का ध्यान दें. अन्याय ना हो, यह हमारी ड्यूटी है. लेकिन वैसी परिस्थिति भी ना बने जिससे समाज में खाईया पैदा न हो.
सीएम शिवराज ने कहा कि मैं विधायक साथियों से भी कहूंगा. सांसद से भी आग्रह करूंगा कि आप बैठक करो उस समाज की. तो बैठक में समझाकर लोगों को लगाओ कि यार इसमें कोई फायदा नहीं है. जमाना कितना अलग दौर में पहुंच गया है. नहीं तो इस तरह की खाई अपने समाज को तोड़ेगी और अपनी चिंता भी बनी रहेगी.
देखो अपन तो आएंगे और जाएंगे लेकिन समाज तो यही रहने वाला है, पर इसमें अगर खाइए पैदा हो गई तो वह समाज के लिए घातक है. इतनी मेरा केवल इतना कहना है कि एक सोशल अभियान चलना चाहिए और गांव गांव में जहां ऐसी चीजें होती हैं, बैठकें हो जाना चाहिए ताकि इस तरह का माहौल न बने.
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