नई दिल्ली. दिल्ली शराब नीति घोटाले को लेकर ED ने बड़ा खुलासा किया है. इस घोटाले से मिले 45 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल 2022 में आम आदमी पार्टी द्वारा गोवा चुनाव में अपने प्रचार अभियान के लिए प्रयोग किए थे. अदालत में दाखिल दस्तावेजों में यह भी दावा किया गया है कि इस बात की पुष्टि CBI और आयकर विभाग ने भी अपनी अलग-अलग जांच में की है. 

ईडी ने अदालत को बताया है कि मामले में जांच के क्रम में प्रवर्तन निदेशालय हवाला ऑपरेटरों और ‘अंगड़ियाओं’ के नेटवर्क की भी जांच कर रहा है. ED ने 45 करोड़ रुपयों की मनी ट्रेल के 5 ‘अंगड़िया’ फर्म संचालकों के बयान भी दर्ज किए हैं. 45 करोड़ रुपयों को लेकर ईडी ने दावा किया है कि ये रुपये राजनेताओं और शराब व्यवसायियों द्वारा आम आदमी पार्टी को दी गई कुल 100 करोड़ रुपये की रिश्वत राशि का हिस्सा है. ईडी का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव प्रचार के लिए इन्ही रुपयों में से 45 करोड़ रुपये खर्च किए थे.

आप ने सभी आरोपों को खारिज किया

आप नेताओं ने इन आरोपों को खारिज किया है. आप ने आरोप लगाया कि यह मामला भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा आप को एक भ्रष्ट पार्टी के रूप में पेश करने के लिए गढ़ा गया. पार्टी ने आरोप लगाया है कि मामले में शामिल अन्य लोगों जैसे TDP के लोकसभा उम्मीदवार मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुंटा और व्यवसायी और अरबिंदो फार्मा के प्रमोटर सरथ रेड्डी के बयान केजरीवाल को फंसाने एवं आगामी आम चुनावों में उनकी भागीदारी को रोकने के लिए बदल दिए गए थे.

ED का दावा है कि अरविंद केजरीवाल पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने केजरीवाल के एप्पल फोन को अनलॉक करने के लिए कंपनी को एक पत्र लिखा है. एजेंसी ने जब्त 4 एप्पल फोन को अनलॉक करने में मदद मांगी है.

दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में CBI और आयकर विभाग की भी नजर है. दोनों एजेंसियों ने आबकारी नीति घोटाला मामले में अलग-अलग जांच की पुष्टि की है. अदालत में दायर दस्तावेजों के अनुसार, इन दोनों एजेंसियों ने भी इसी तहर की जानकारी कोर्ट को दी है.

ईडी ने अब तक इस मामले में 16 प्रमुख व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता, दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आप नेता मनीष सिसोदिया एवं आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह सहित अन्य कई प्रमुख व्यक्ति शामिल हैं.

क्या है दिल्ली आबकारी नीति घोटाला?

दिल्ली सरकार नवंबर 2021 में शराब बिक्री में गड़बड़ी रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए अपनी नई उत्पाद शुल्क नीति में सुधार करती है. पहले दिल्ली में शराब की खुदरा बिक्री सरकारी और निजी ठेके के बीच समान तरीके से होती थी. उत्पाद शुल्क विभाग को इससे हर साल लगभग 4,500 करोड़ रुपये मिलता था.

आबकारी नीति 2021-22 में दिल्ली सरकार ने खुदरा कारोबार को पूरी तरह से निजीकरण कर दिया. अवैध शराब की बिक्री और उत्पाद शुल्क की चोरी पर इस तरह अंकुश लग गया. इससे 10,000 करोड़ रुपये के राजस्व की कमाई का लक्ष्य रखा गया. राजधानी के सभी 272 नगरपालिका वार्डों में से प्रत्येक में कम से कम दो शराब की दुकानें खोली जानी थी.