कोलकाता। नारदा घोटाला मामले के आरोपी टीएमसी के चार नेताओं को हाउस अरेस्ट करने और मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने के कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इसके साथ ही कोलकाता हाईकोर्ट में पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष सोमवार को आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर होने वाली सुनवाई को स्थगित करने सीबीआई ने आवेदन दिया है.
सीबीआई ने 17 मई को टीएमसी नेता फरियाद हाकीम, सुब्रतो मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चटर्जी को नारदा घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था. मामले में टीएमसी नेताओं की याचिका पर हाईकोर्ट ने उन्हें जेल भेजने की बजाए होम अरेस्ट के लिए कहा था, जिसका सीबीआई ने यह कहते हुए पुरजोर विरोध किया था कि इससे आरोपी गवाहों और साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी दलील स्वीकार नहीं की थी.
21 मई को हाईकोर्ट की खंडपीठ के जजों में आरोपियों को अंतरिम जमानत देने के मामले में अलग-अलग राय थी. जहां एक जज का कहना था कि आरोपियों को अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए, वही दूसरे जज की राय बिल्कुल उलट थी। यही वजह थी कि खंडपीठ ने सभी आरोपियों को हाउस अरेस्ट में भेजने का निर्णय लिया था। साथ ही खंडपीठ ने इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेज दिया था।
क्या है नारदा घोटाला?
साल 2016 में बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सामने आया था, जिसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक और कोलकाता के मेयर को कथित रूप से एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से रकम लेते दिखाया गया था. यह स्टिंग ऑपरेशन नारदा न्यूज पोर्टल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल ने किया था. साल 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन टेप की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था.