नई दिल्ली। खाद्य तेल एवं तिलहनों की जमाखोरी रोकने और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 30 जून तक के लिए इनकी भंडारण सीमा तय कर दी है। उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि केंद्र सरकार ने इस सबंध में गत तीन फरवरी को अधिसूचना जारी की थी। यह आदेश केंद्र सरकार तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को अधिकार देता है कि वे खाद्य तेल एवं तिलहनों के भंडारण और वितरण को नियमबद्ध कर सकें । इससे सरकार को खाद्य तेल एवं तिलहनों की जमाखोरी रोकने के प्रयासों को बल मिलेगा।

विभाग ने आदेश की अनुपालना के संबंध में चर्चा के लिए मंगलवार को सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक की थी। बैठक में इस बात पर बल दिया गया कि राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी आपूर्ति श्रृंखला में कोई व्यवधान किये बिना तथा कारोबार में कोई अवांछित अड़चन पैदा किये बिना भंडारण सीमा मात्रा आदेश को लागू करें।

केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के संबंध में खुदरा विक्रेताओं के लिए 30 क्विंटल, थोक विक्रेताओं के लिए 500 क्विं टल, बड़े खुदरा दुकानों या चेन रिटेलर या दुकान के लिए 30 क्विंटल और उनके डिपो के लिए 1,000 क्विं टल की सीमा तय की है। खाद्य तेलों का प्रसंस्करण करने वाली इकाइयां प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के 90 दिन के बराबर मात्रा का भंडारण कर सकती हैं।

तिलहन के मामले में खुदरा विक्रेताओं के लिए भंडारण सीमा 100 क्विंटल और थोक विक्रेताओं के लिए 2,000 क्विं टल की तय की गयी है। खाद्य तेलों का प्रसंस्करण करने वाली इकाइयां प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के 90 दिन के बराबर मात्रा का भंडारण कर सकती हैं।भंडारण सीमा मात्रा तय किये जाने का यह आदेश कुछ शर्तो के साथ निर्यातकों तथा आयातकों पर लागू नहीं होता है।

बैठक में यह जानकारी दी गयी कि अगर वैधानिक प्रतिष्ठानों के पास भंडारण तय सीमा मात्रा से अधिक हुआ तो उन्हें यह खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर घोषित करना होगा। घोषणा के 30 दिन के भीतर उन्हें अपना भंडारण तय सीमा में लाना होगा।सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को प्रतिष्ठानों द्वारा घोषित भंडारण सीमा की निगरानी के लिए इस पोर्टल तक पहुंच दी गयी है।

केंद्र सरकार का मानना है कि इससे खाद्य तेलों के दाम में इजाफा करने के लिए जिम्मेदार जमाखोरी, कालाबाजारी जैसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोका जा सकेगा। बैठक में खाद्य तेलों की कीमत के मौजूदा वैश्विक परिदृश्य तथा भारतीय बाजार पर इसके प्रभाव के बारे में भी जानकारी दी गयी।

गौरतलब है कि नवंबर 2021 में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने बताया था कि सरकार ने खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए पाम ऑयल, सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल के आयात शुल्क में बदलाव किया है। इसके अलावा एनसीडेक्स पर सरसों तेल के वायदा कारोबार को निलंबित कर दिया गया और भंडारण सीमा भी तय की गयी थी।