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मुंबई. केंद्र सरकार अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक कानून पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. इस बात की जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने दी. गहलोत ने इस आदेश के खिलाफ आंदोलन कर रहे विभिन्न संगठनों से आंदोलन वापिस लेने की मांग की है.
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कल्याण के लिए संकल्पित है. उच्चतम न्यायालय ने एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून को लकर जो फैसला दिया है उसके संबंध में केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि इस आदेश के खिलाफ जो संगठन आंदोलन करने वाले थे उनसे मेरा अनुरोध है कि वे केंद्र सरकार के इस निर्णय को देखते हुए अपना आंदोलन वापिस लें.
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम, 1989 के तहत स्वत: गिरफ्तारी और आपराधिक मामला दर्ज किये जाने पर हाल में रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति से जुड़े संगठन 2 अप्रैल को पूरे देश में आंदोलन करने जा रहे हैं.
फैसले के विरोध में संविधान बचाओ संघर्ष समिति ने दो अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया है. इसे लेकर अलग-अलग राज्यों में अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए संघर्ष करने वाले सभी संगठन इस बंद में शामिल हैं. समति के प्रधान कुलवंत सिंह भरोमाजरा ने कहा है कि डा. भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के उत्थान को ध्यान में रख कर भारत के संविधान का निर्माण किया था. केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी साजिश के तहत संविधान की धाराओं के साथ छेड़छाड़ कर रही है जिसके कारण देश भर में डा. भीमराव अम्बेडकर के नाम पर बनी दलित सभाओं में भारी रोष उत्पन्न हो रहा है