रायपुर। फर्जी बिलिंग के मामले में सेंट्रल जीएसटी ने दुर्ग और रायपुर के 30 कारोबारियों पर शिकंजा कसा है. इनमें से 13 कारोबारी दुर्ग के और 17 रायपुर के हैं. मामले में भिलाई से दो और रायपुर से एक कारोबारी को गिरफ्तार भी किया गया है. प्रारंभिक जांच में विदेशों में भी टैक्स चोरी का पैसों निवेश किए जानकारी मिली है. इसके अलावा बैंक खातों में ट्रांजेक्शन और पैन कार्ड का भी आंकलन किया जा रहा है.
जानकारी के अनुसार, सेंट्रल जीएसटी के दो विभाग जांच में जुटे हैं. एक प्रधान आयुक्त की सीधी निगरानी में है. दूसरी जीएसटी इंटेलीजेंस की. इस बात की पड़ताल की जा रही है कि कौन सी कंपनी है जो लगातार इनपुट क्रेडिट टैक्स के लिए आवेदन कर रही है. उसके बिल कहां-कहां से आ रहे हैं. ई-वे बिल को भी ध्यान से देखा जा रहा है. इसमें कौन से वाहन से कौन सा सामान कहां भेजा गया. किस तारीख और समय पर भेजा गया. उसमें सामान की मात्रा कितनी थी, उसकी कीमत कितनी थी, उस पर वस्तु एवं सेवा कर कितना लगना था. इसकी जांच की जा रही है. बिल नहीं होने से ट्रांसपोटिंग भी प्रभावित हो रही है.
मिर्च, मसाला के नाम पर बनाया फर्जी बिल
बताया जाता है कि अभी तक करोड़ों का मशीन बनाने, सरिया, स्टील, रॉड, प्लेट और सीमेंट बनाने के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है. अभी हाल में किराना सामान के नाम पर भी फर्जी बिल पेश किया गया है, इसमें मिर्च, मसाला, पापड़ आदि चीजें हैं. इनके नाम पर ओडिशा, झारखंड और कोलकाता से बिल बनवाकर पेश किया गया है. कमीशन के आधार पर बिल बनवाया गया है. प्रति टन लोहे के बिल के आधार पर 500 से एक हजार रुपए का कमीशन देकर बिल बनवाया गया.
जुर्माने के साथ है सजा का प्रावधान
जानकारों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति बिना माल सप्लाई के फर्जी बिल काटता है, या बिना इनवाइस के खाली सामान सप्लाई करता है, और उसमें गलत तरीके से इनपुट क्रेडिट टैक्स 5 करोड़ या इससे अधिक लेते हैं तो ऐसे लोगों की सीजीएसटी एक्ट-2017 की धारा सेक्शन -69 और 132 के तहत गिरफ्तारी हो सकती है. उन्हें 5 साल तक की सजा के अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है.