सुधीर साहू, रायपुर. छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा, जिसमें 20 सीटें शामिल हैं. बस्तर जिले के अंतिम छोर में बसे नक्सल प्रभावित चांदामेटा गांव में आजादी के 75 साल बाद पहली बार मतदान होगा. दशकों बाद यहां के ग्रामीणों को नक्सल भयमुक्त कर जिला प्रशासन की टीम लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लेने के लिए जागरूक कर रही है. इधर एक तरफ जहां ग्रामीणों में मतदान को लेकर उत्साह है तो वहीं नक्सल मामलों में पिछले कई सालों से जेल में बंद ग्रामीणों के रिहाई होने के बाद उनके परिवार में खुशी का माहौल है.
दरअसल चांदामेटा गांव के 25 से अधिक ग्रामीण पिछले कुछ सालों से नक्सली सहयोगी के आरोप में जेल में सजा काट रहे थे. लंबे समय तक चले सुनवाई के बाद ग्रामीणों के निर्दोष साबित होने पर 25 में से 16 ग्रामीणों को रिहा कर दिया गया है. सभी अपने घर वापस लौट आए हैं. इसके साथ ही अन्य ग्रामीणों की रिहाई के लिए भी न्यायालयीन प्रक्रिया जारी है.
अब तक 16 ग्रामीण हुए रिहा
दरअसल छत्तीसगढ़-ओड़िशा के बॉर्डर में स्थित दरभा ब्लॉक के चांदामेटा गांव में नक्सलियों के बड़े नेता हमेशा इस इलाके में सक्रिय रहते थे. नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप भी चांदामेटा इलाके में रहा करता था. यही कारण है कि इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को शक की निगाहों से पुलिस देखती थी और इन इलाके में हुए नक्सली घटनाओं में गांव के संदिग्ध ग्रामीणों को नक्सल सहयोगी बताकर गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया गया था. हालांकि, न्यायालयीन प्रक्रिया के चलते इन ग्रामीणों को रिहाई मिल रही है.
रविवार (20 अक्टूबर) को जेल से रिहा हुए चांदामेटा गांव के ग्रामीण परदेशी ने बताया कि वह पिछले 8 सालों से जेल में बंद था. 2015 में उसे नक्सली बताकर जेल में डाल दिया गया था और अब 8 सालों के बाद रिहा होकर वापस अपने गांव और घर चांदामेटा पहुंचा है. परदेशी ने बताया कि जेल में रहने के दौरान परिवार और गांव की याद उन्हें हमेशा सताती थी. उनके मामले में 8 सालो तक चली सुनवाई के बाद आखिरकार उन्हें निर्दोष साबित करते हुए जेल से रिहा कर दिया गया. उनके साथ गांव के ही और 2 ग्रामीण वापस लौट आए हैं.
जेल से रिहा हुए ग्रामीण पहली बार डालेंगे वोट
बस्तर जिले के एसएसपी जितेंद्र सिंह मीणा ने बताया कि ग्रामीणों की रिहाई की न्यायालयीन प्रक्रिया जारी है. बस्तर पुलिस की ओर से यह लगातार कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द न्यायालयीन प्रक्रिया में गवाहों को प्रस्तुत कर सके, जिससे कि न्यायालय की प्रक्रिया पूरी हो जाए. इधर पहली बार चांदामेटा गांव के ग्रामीणों के साथ-साथ जेल से रिहा हुए ग्रामीण भी 7 नवंबर को लोकतंत्र के इस महापर्व में शामिल होकर वोट डालेंगे.
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