बिलासपुर. नगर निगम राजनांदगांव द्वारा उच्च न्यायालय के सिंगल जज के आदेश दिनांक 19/02/2021, जिसमें राजनांदगांव निवासी रश्मि गौरी भोजानी एवं अन्य को जमीन अधिग्रहण की बकाया राशि 4,03,40,000/- (चार करोड़ तीन लाख चालीस हजार रूपये) 12 प्रतिशत ब्याज सहित दिये जाने का आदेश किया था, जिसके विरूद्ध नगर निगम राजनांदगांव ने अपने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से उच्च न्यायालय के डिविजन बेंच के समक्ष अपील प्रस्तुत किया, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय के अग्रवाल एवं न्यायाधीश अरविंद सिंह चंदेल ने उक्त अपील की सुनवाई करते हुए अपील को मान्य करते हुए सिंगल जज के आदेश दिनांक 19/02/2021 पर रोक लगा दिया.
नगर निगम राजनांदगांव द्वारा अपील प्रस्तुत करते समय यह बताया गया कि सिंगल जज ने तथ्यों को ध्यान न देते हुए याचिकाकर्ता द्वारा भ्रामक एवं झूठे बातों को बताते हुए भूमि अधिग्रहण की बात कही गई थी, जबकि निगम ने कभी भी रिट याचिकाकर्ताओं की भूमि को अधिग्रहित किया ही नहीं. साथ ही साथ सन् 1990 में रिट याचिकाकर्ताओं को उनके आवेदन पर भूमि के उपयोग को कृषि से आवासीय प्रयोजन हेतु परिवर्तित करते हुए यह शर्त रखा कि उन्हें सड़क के लिए 60 फीट जमीन रोड एवं अपने घर तक जाने के लिए छोड़ना होगा जिसमें रिट याचिकाकर्ताओं ने सहमति प्रदान करने हुए घर बनवा लिया.
अचानक सन् 2014 में उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत कर दिया जिसमें उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि निगम द्वारा जमीन अधिग्रहित किया गया है तो निगम को याचिकाकर्ताओं को मुआवजा देना होगा उसके बाद निगम राजनांदगांव ने याचिकाकर्ताओं को सूचित कर दिया था कि उनकी भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जा रहा है,
परंतु 2020-21 में राजनांदगांव के सांसद के पत्र के आधार पर प्रक्रिया चालू की गई थी जिस पर रिट याचिकाकर्ता रश्मि भोजानी अपने वकील अनूप मजुमदार के माध्यम से उच्च न्यायालय के सिंगल जज के समक्ष कहा कि हमारे जमीन का अधिग्रहण कर ले और मुआवजा प्रदान करें.
परंतु सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं द्वारा यह बताया गया कि भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है एवं मुआवजे की राशि 4,03,40,000/- रूपये भी नहीं दिये गए. जिसके बाद उच्च न्यायालय के सिंगल बैंच ने बिना नगर निगम को नोटिस किये बिना उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना जवाब मांगे, याचिकाकर्ताओं के बहस को सत्य मानते हुए एकपक्षीय आदेश पारित कर मुआवजे की राशि 4,03,40,000/- रूपये 12 प्रतिशत ब्जाज सहित याचिकाकर्ताओं को प्रदान किये जाने का आदेश पारित कर दिया.
उक्त आदेश के विरूद्ध नगर निगम राजनांदगांव ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से रिट अपील प्रस्तुत कर उच्च न्यायालय के डिविजन बेंच को बताया कि याचिकाकर्ताओं की भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है. उच्च न्यायालय में प्रस्तुत रिट याचिका में नगर निगम को सुनवाई का मौका दिये बिना ही सिंगल जज ने आदेश पारित कर दिया जो कि गलत है. उपरोक्त अपील में दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात डिविजन बेंच ने पूर्व में डिविजन बेंच ने आदेश दिया था कि कि याचिकाकर्ता एवं राज्य सरकार बताए कि भूमि का अधिग्रहण किया गया है या नहीं. राज्य सरकार द्वारा बताया गया कि भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है. दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात उच्च न्यायालय के डिविजन बेंच के न्यायाधीश संजय के अग्रवाल एवं श्री अरविंद सिंह चंदेल ने रिट अपील को प्रस्तुत कर सिंगल जज के ओदश दिनांक 19/02/2021 पर रोक लगा दिया.