CG Breaking News : प्रतीक चौहान, रायपुर. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू की टीम ने रविवार को बड़ी कार्रवाई की है. राजधानी रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग में कई शराब कारोबारियों के घर दबिश दी गई है. प्रदेशभर में 10 ठिकानों पर ईओडब्ल्यू का छापा पड़ा है.



जानकारी के मुताबिक, शराब घोटाला मामले में आर्थिक अपराध विंग ने प्रदेश के 10 ठिकानों पर छापेमारी की है. रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में शराब कारोबारियों के घर छापा पड़ा है. राजधानी में 3 से 4 ठिकानों पर दबिश दी गई है. रायपुरा स्थित शिव विहार कॉलोनी स्थित शराब कारोबारी अवधेश यादव के घर भी ईओडब्ल्यू की टीम पहुंची है. टीम दस्तावेजों की जांच कर रही है.
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला मामला?
ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शासनकाल के दौरान साल 2019 से 2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों पर डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची जाती थी, जिसके चलते छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था. उस दौरान शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, ताकि वह किसी की पकड़ में न आ सके. इस होलोग्राम को बनाने के लिए घोटाले में संलिप्त लोगों ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली PHSE (प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) कंपनी को टेंडर दिया था.
ईडी ने अपनी जांच के बाद यह बताया है कि यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर उसी कंपनी को दे दिया गया था. ईडी के टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक से भारी कमीशन लिया गया था. यह जानकारी सामने आने के बाद जब कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को ईडी ने गिरफ्तार किया तो उसने कांग्रेस सरकार में CSMCL में एमडी अरुणपति त्रिपाठी, बिजनेसमैन अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया.
ED ने जब इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे होने लगे. इसके बाद साल 2024 के अंत में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम सामने आया. सूत्रों के मुताबिक ED की जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी (प्रोसीड ऑफ क्राइम) से हर महीने कमिशन मिलाता था.
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