रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 7 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में तीसरी बार बतौर वित्त मंत्री प्रदेश का बजट पेश करेंगे. स्थापना के 21 सोपान पर खड़े छत्तीसगढ़ का यह कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा, लेकिन उनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पहली बार प्रदेश का बजट एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार करेगा. सात हजार करोड़ के बजट से एक लाख करोड़ तक के सफर को लल्लूराम डॉट कॉम आपके साथ साझा कर रहा है. 

मध्य प्रदेश से जुदा होने के बाद छत्तीसगढ़ की कमान अजीत जोगी ने संभाली थी, और उन्होंने महत्वपूर्ण वित्त विभाग अनुभवी डॉ. रामचंद्र सिंहदेव को सौंपी थी. अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रह चुके डॉ. सिंहदेव ने लगातार तीन सालों तक छत्तीसगढ़ का बजट पेश किया. मध्यप्रदेश से विभाजन की वजह से उत्पन्न तमाम तरह के परेशानियों के बीच उन्होंने वर्ष 2001-02 में कुल  7 हजार 294 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. इसके अगले वित्त वर्ष के लिए उन्होंने 8 हजार 471 करोड़ और वर्ष 2003-03 के लिए 9 हजार 978 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. 

10 हजार करोड़ का था भाजपा का पहला बजट

कांग्रेस के तीन साल के बाद भाजपा सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वित्त विभाग का जिम्मा अमर अग्रवाल को सौंपा. उन्होंने बतौर वित्त मंत्री लगातार तीन वर्ष बजट पेश किया. वर्ष 2004-05 में अपना पहला बजट उन्होंने 10 हजार 555 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें दो अनुपूरक बजट पेश किए गए. 2005-06 में 11 हजार 242 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए. वहीं 2006-07 में 13 हजार 185 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. जिसमें तीन अनुपूरक बजट शामिल थे.

राजनीतिक ताने-बाने में बदलाव के बीच अमर अग्रवाल के स्थान पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वित्त विभाग की कमान संभाली. और वर्ष 2007-08 के लिए पेश अपने पहले बजट में उन्होंने 16 हजार 473 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए. वहीं 2008-09 में 19 हजार 392 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें दो अनुपूरक बजट शामिल थे. 2009-10 में 23 हजार 482 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें दो अनुपूरक बजट शामिल थे.

फाइल फोटो

रमन सिंह के कार्यकाल में पार किए तीन बड़े पड़ाव

2010-11 में डॉ. रमन सिंह पहली बार 25 हजार करोड़ का आंकड़ा पार करते हुए 26 हजार 099 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए. इसके बाद 2011-12 में 32 हजार 477 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीनअनुपूरक बजट पेश किए गए. 2012-13 में 39 हजार 677 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए. 2013-14 में 44 हजार 169 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट शामिल थे. 

2014-15 में प्रदेश का बजट 50 हजार करोड़ के आंकड़े को पार किया. डॉ. सिंह ने 54 हजार 710 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट भी शामिल थे. इसके बाद 2015-16 में 65 हजार 013 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए. वहीं 2016-17 में 75 हजार करोड़ की सीमा को लांघते हुए 76 हजार 032 रुपए का बजट पेश किया गया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए. इसके बाद 2017-18 में 88 हजार 599 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें चार अनुपूरक बजट शामिल थे.

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15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस

2018 के विधानसभा चुनाव में बाजी पलटने के साथ सत्ता की चाबी एक बार फिर कांग्रेस के पास आई और कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार की तर्ज पर वित्त विभाग को अपने पास ही रखा. बतौर वित्त मंत्री भूपेश बघेल ने 2018-19 का अपना पहला बजट अनुपूरक बजट के तौर पर पेश किया. ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा अऊ बारी’ (ग्रामीण अर्थव्यवस्था) पर फोकस करते हुए वर्ष 2019-20 के लिए 95 हजार 899 करोड़ रुपये का बजट पेश किया.

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किसानों के लिए राजीव न्याय योजना

भूपेश बघेल ने वर्ष 2020-21 के लिए अपना दूसरा बजट 95,650 रुपए का पेश किया. इसमें पूर्व के वर्ष की तरह की किसानों पर फोकन करते हुए कृषि ऋण माफी 2500 रुपए प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से आगे बढ़ते हुए राजीव न्याय योजना की शुरुआत की गई, जिसके लिए उन्होंने 5100 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा था. वहीं किसानों को मुफ्त में बिजली देने के लिए उन्होंने ‘कृषक जीवन ज्योति योजना’ के तहत 2,300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था.

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HEIGHT की आवधारणा पर किया काम

वर्ष 2021-22 में वित्त मंत्री भूपेश बघेल ने 97 हजार 106 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. ऊंचाई (HEIGHT) की अवधारणा पर काम करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि बजट में H – को होलिस्टिक डेवलबमेंट, E को एजुकेशय़न, I को इंफ्रास्ट्रक्चर, G को गवर्नेंस, H को हेल्थ और T ट्रांसफार्मेशन से जोड़ा था. इसमें 39 प्रतिशत आर्थिक क्षेत्र के लिए, 38 प्रतिशत हिस्सा सोशल सेक्टर के लिए, और 23 प्रतिशत सामान्य सेवा क्षेत्र के लिए रखा गया था. बजट में बस्तर टाइगर्स के 2800 पदों पर भर्ती के अलावा 11 नई तहसीलों के गठन का एलान किया गया था.