सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ में तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है. कोरोना से होने वाली मौत का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. पिछले 8-10 दिन से कोरोना के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में लोगों की लापरवाही, सरकारी ढिलाई अब खतरनाक स्थिति का संकेत करने लगा है. कुछ महीने पहले कोरोना के हाहाकार को कोरोना वॉरियर्स ने धूल चटा दिया था, लेकिन अब फिर से कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को भयभीत करना शुरु कर दिया है. आखिर कोरोना फिर से क्यों पैर पसार रहा है. इसको लेकर लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने पड़ताल की.

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राजधानी में लल्लूराम डॉट की टीम ने लोगों से कोरोना को लेकर बातचीत की. कोरोना को मात दे चुके लोगों से मामले को समझने की कोशिश की. हफ्तेभर के अंदर कोरोना संक्रमित हुए लोगों से फोन के माध्यम से जानकारियां जुटाई. इसमें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बेमेतरा, मुंगेली, धमतरी के मरीज शामिल हैं.

कोरोना के आंकड़े भयावह

हमारी टीम ने पड़ताल की. इस पड़ताल में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए. कोरोना संक्रमित मरीजों ने कहा कि पहले स्वास्थ्य विभाग की टीम घर जाकर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग करती थी. कोरोना संक्रमित मरीजों से हालातों के बारे में फोन से जानकारी ली जाती थी. अब लगभग कोरोना मरीजों के पास फोन भी आना बंद हो गया है. ऐसे में कोरोना के आंकड़े भयावह हो रहे हैं.

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ट्रेसिंग के क्या हैं फ़ायदे ?

ट्रेसिंग का कार्य व्यवस्थित और सही रूप से होने से कोरेाना के फैलाव को रोकने में मदद मिलती है. इससे कोरोना से प्रभावित हो गए नागरिकों के परिजनों, आत्मीयजनों, साथियों और परिचितों की समय रहते कोरोना की जांच की जाती है. उन्हें कोरोना से बचाने का कार्य किया जा सकता है.

लक्षण होने के बावजूद होम आइसोलेशन

एक मरीज ने बताया कि 2 दिन पहले एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. आरटीसीआर टेस्ट भी पॉजिटिव है. कोरोना संक्रमित मरीज को तेज बुख़ार, सर्दी ख़ासी और पल्स रेट 120-30 है. बावजूद मरीज को होम आइसोलेशन दिया गया था. इसके बाद लल्लूराम डॉट कॉम की टीम को इस बात की सूचना मिली. इसके बाद मरीज को रायपुर एम्स में भर्ती कराया. हमारे पड़ताल में ये बात सामने आई है कि होम आईसोलेशन में रह रहे कुछ मरीजों की सही मेडिकल देखभाल नहीं होने के कारण स्थिति काफी बिगड़ गई

होम क्वॉरेंटाइन में ढिलाई

होम क्वॉरेंटाइन पहले आवश्यक रूप से सुनिश्चित था. लॉकडाउन हटा वैसे ही ढिलाई दे गई. इसका खामियाजा ये हुआ कि दूसरे राज्य से आने वाले लोग या अपने घर लौटने वाले लोग बेधड़क समाज में घूमने लगे. इससे कोरोना की संख्या फिर से रफ्तार पकड़ ली है. प्रदेश के हर कोने से कोरोना मरीजों की पहचान की जा रही है.

क्या कहते हैं ज़िम्मेदार ?

कोरोना कंट्रोल रूम की प्रभारी और अपर कलेक्टर पद्मनी भोई ने बताया कि हमारा प्रयास होता है कि कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का कार्य यथाशीघ्र किया जाए. कोरोना पॉजीटिव मरीज की जानकारी होने की दशा में 6 घंटे के भीतर होम आइसोलेशन और सैंपलिंग की कार्रवाई की कोशिश की जाती है.

प्राइमरी कॉन्टेक्ट की जानकारी 

अपर कलेक्टर पद्मनी भोई ने कहा कि हर एक मरीज से कम से कम 15 प्राइमरी कॉन्टेक्ट की जानकारी संकलित की जाती है. इससे मरीज से पिछले कुछ समय में उनसे मिलने वाले लोंगो की जानकारी ली जाती है. इससे ऐसे लोंगो से संपर्क कर उन्हें कोरोना से बचाया जा सके.

कथनी और करनी में अंतर

अपर कलेक्टर भोई ने बताया कि कोरोना से बचाव एक राष्ट्रीय मुहिम है, लेकिन कई बार प्रभावित कोरोना मरीज द्वारा प्राइमरी कॉन्टेक्ट की जानकारी नहीं बताई जाती है. कम से कम बताई जा रही है, ऐसे में कोविड के फैलाव की आशंका काफी बढ़ जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना होने की जानकारी छिपाने और कांटेक्ट ट्रेसिंग की जानकारी नहीं देने पर संबंधितों के खिलाफ FIR की कार्रवाई की जा रही है.

ये लापरवाही आई सामने

  • कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के नाम पर खाना पूर्ति
  • कोविड मरीज के संपर्क में आए लोगों की नहीं हो रही ट्रेसिंग
  • व्यक्तियों को कोरोना से बचाने में मददगार होता है ट्रेसिंग
  • लक्षण वाले मरीजों को भी किया जा रहा आइसोलेशन
  • होम क्वॉरेंटाइन की रणनीति में ढिलाई
  • मृत्यु दर बढ़ने का एक यह भी कारण