प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। पुलिस की वर्दी का कितना बड़ा महत्व है. वर्दी देश की सेवा के लिए दी जाती है, रौब दिखाने के लिए नहीं, लेकिन अपने देश में पुलिस की वर्दी पहनने के बाद व्यक्ति में रौब आ ही जाता है. अक्सर कई पुलिसकर्मी इतनी बेरहमी बरत जाते हैं, जिसका खामियाजा आम लोगों को दर्द से चुकाना पड़ता है. लोगों को दुखों की कराहती पीड़ा से गुजरना पड़ता है. ऐसा ही एक मामला कवर्धा में देखने को मिला, जहां पुलिसकर्मियों का रौद्र रूप सामने आया है.
पुलिस ने की हड्डियां टूटने तक पिटाई
दरअसल, कवर्धा जिले में पुलिसकर्मियों की बर्बरता जारी है. कोरोना तांडव के बीच पुलिसकर्मी भी अपना रौद्र रूप दिखा रहे हैं. लोगों को बेरहमी से पीट रहे हैं. हाल ही में लोहारा पुलिस का खौफनाक चेहरा सामने आया है. लोहारा निवासी जीवन चेलक का बेटा खेलते-खेलते घर से कहीं चला गया था, जिसको जीवन ढूंढने निकले थे. पुलिस ने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर रहे हो कहकर जमकर पिटाई कर दी. इससे मासूम के पिता जीवन के दांए पैर के घुटने की हड्डियां टूट गई है.
मदद की गुहार लगा रहा गरीब परिवार
जब पूरे मामले की जानकारी परिजनों को लगी, तो परिजन पीड़ित को कवर्धा जिला अस्पताल इलाज के लिए लेकर आए, लेकिन जिला हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने यहां सुविधा न होने की बात कर कच्चा प्लास्टर कर दिया. इतना ही नहीं जिला हॉस्पिटल से रेफर कर दिया. गरीब परिवार पैसे के अभाव में जिला हॉस्पिटल के सामने ही निजी हॉस्पिटल में इलाज कराने गुहार लगा रहे हैं.
मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए SP
वहीं इस मामले में पुलिस अपने करतूत को छुपा रही है. पुलिस का कहना है कि लोहारा में 10 से 15 लोग तास खेल रहे थे, इसी बीच पुलिस को देखकर भागने से गिरकर व्यक्ति को चोट आई है. जबकि SP शलभ सिन्हा भी मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए. जबकि लोहारा निवासी जीवन चेलक और उसके परिजनों ने जान बूझकर मारपीट करने का आरोप लगाया है. गरीब परिवार जिले के जनप्रतिनिधियों से इलाज कराने की गुहार लगा रहे हैं. इसके अलावा बेरहम पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.
कवर्धा में पुलिस का यह पहला मामला नहीं है, इसके पहले भी पंडरिया पुलिस ने एक अधेड़ व्यक्ति की कोरोना नियम का पालन नहीं करने को लेकर जमकर पिटाई कर दी थी, जिसके बाद गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू से परिजनों ने शिकायत की थी. ये घटना सप्ताह भर पहले का है. अब एक बार फिर लोहारा पुलिस का खौफनक चेहरा सामने आया है.
लोकतंत्र में लाठी का क्या काम?
बहरहाल, पुलिस को समझाने-बुझाने की बजाय लाठी से पीटना कितना सही है. पुलिस का यह खौफनाक रूप बताता है कि जिले में कानून-व्यवस्था नाम की चीज नहीं रह गई है. लोकतंत्र में लाठी का क्या काम? यह व्यवस्था के संवेदनहीन होने का मामला है. ये पुलिस विभाग पर बड़ा सवाल की आखिर पुलिस कहीं का गुस्सा कहीं क्यों निकाल रही है ?
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