वीरेंद्र गहवई. बिलासपुर. हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भू अर्जन प्रकरणों में मुआवजा राशि प्राप्त करने की पात्रता और रकम के आपसी विभाजन सम्बन्धी विवाद पर विचार करने का क्षेत्राधिकार मीडियेटर को नहीं है. ऐसे विवाद पर विचार करने का क्षेत्राधिकार केवल सक्षम सिविल न्यायालय को ही है.
कोरिया जिला निवासी याचिकाकर्ता सोहन एवं अन्य की भूमि का अर्जन राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत किया गया था. अवार्ड 4 अक्टूबर 2018 को पारित किया गया.
सम्पूर्ण रकम याचिकाकर्ता सोहन को प्रदाय करने का अवार्ड पारित किया गया था. याचिकाकर्ता सोहन व उत्तरवादी मोहर साय के बीच मुआवजा रकम का आपसी विभाजन सम्बन्धी विवाद उत्पन्न हो गया. मोहर साय के वाद को स्वीकार करते हुए मीडियेटर ने सम्पूर्ण मुआवजा राशि को मोहर साय को प्रदान करने का आदेश 20 जुलाई 2021 को जारी किया. इसके विरुद्ध सोहन ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी.
अगर संकल्प दृढ़ हो तो अवरोधों पर विजय प्राप्त कर इतिहास रचा जा सकता है।
तखतपुर के विजय कैवर्त सीजी पीएससी परीक्षा में ‘विजय’ प्राप्त कर सहायक कर आयुक्त के रूप में चयनित हुए हैं।https://t.co/bEsOJhGLL8
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 30, 2021