CG Narasimha Temple : भगवान व‍िष्‍णु के चौथे अवतार नृस‍िंह के बारे में तो सभी जानते हैं क‍ि उन्‍होंने यह अवतार हिरण्‍यकश्‍यपु के संहार और भक्‍त प्रहृलाद की रक्षा के लिए धारण क‍िया था. छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ब्रह्मपुरी क्षेत्र में नृसिंह भगवान का करीब 1156 साल पुराना मंदिर स्थित है. भोसले राजा हरहरवंशी ने इसका निर्माण करवाया था. यहां भगवान नृसिंह की प्रतिमा काले पत्‍थर से बनी है.

इसकी खासियत है कि यह प्रत‍िमा गर्मी के मौसम में ठंडी रहती है और ठंड के मौसम में गर्म रहती है. मंदिर में सबसे बड़ा उत्सव वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है, जिसे नृसिंह चौदस कहा जाता है. इस बार नृसिंह चौदस आज 21 मई को पड़ रही है. आज लाखों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचेंगे.

भोसले राजा हरहरवंशी ने बनवाया (CG Narasimha Temple)

भोसले राजा हरहरवंशी ने नृसिंह मंदिर का निर्माण करवाया था. संपूर्ण मंदिर 28 खंभों पर टिका हुआ है. प्रत्येक खंभा एक ही पत्थर को तराशकर बनाया गया है. किसी भी खंभे में जोड़ नहीं है. सभी खंभे तीन फीट चौड़ाई और 10 फीट ऊंचाई के बने हुए हैं. इन्हें एक ही पत्थर को तराशकर बनाया गया है. छत के नीचे दो गर्भगृह हैं. ये गर्भगृह चार फीट चौड़ाई और सात फीट ऊंचाई के हैं.

वास्तु अनुरुप छत का आकार

मंंदिर की छत 28 खंभों पर टिकी है, छत के नीचे प्रत्येक खंभे के बीच में त्रिकोण आकार की गहराई है, जिसे ताबीज की संज्ञा दी गई है. इसे वास्तु अनुरुप् बनाया गया है. इन त्रिकोण आकार के ताबीज के नीचे बैठकर मंत्र जाप और ध्यान लगाने से श्रद्धालुओं को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. मंदिर परिसर के बाहर भले ही गर्मी का प्रकोप कितना भी क्यों न हो, मंदिर के भीतर ठंडकता का अहसास होता है.

ऐसे पहुंचे मंदिर

शहर के ह्दय स्थल ऐतिहासिक बूढ़ा तालाब के मुख्य प्रवेश द्वार और बूढ़ेश्वर मंदिर के बगल से ब्रह्मपुरी जाने के लिए मार्ग है. बूढ़ा तालाब के ठीक सामने ब्रह्मपुरी इलाके में मंदिर है. भाठागांव स्थित नया बस स्टैंड से मात्र दो किलोमीटर और रेलवे स्टेशन से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पहुंचने के लिए आसानी से आटो, टैक्सी उपलब्ध है.