CG News:  रायपुर. संभागायुक्त महादेव कांवरे ने सोमवार को रूरल इंड्ट्रियल पार्क (रीपा) में हुई अनियमितताओं के मामले में रायपुर संभाग के 3 पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया. इसके साथ ही तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ को कारण बताओ नोटिस दिया है. संभागायुक्त श्री कावरे ने यह कार्रवाई राज्य शासन से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर की. उल्लेखनीय है कि रीपा अनियमितताओं की पिछले डेढ़ साल से जांच की कार्रवाई चल रही है. गत दिनों विधानसभा में विधायक धरमलाल कौशिक के सवाल पर पंचायत मंत्री विजय शर्मा ने बताया था कि इस मामले में 6 कलेक्टर, 18 जनपद पंचायत सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

इसके अलावा तीन ग्राम पंचायत सचिवों को निलंबित किया गया है. इसी कड़ी में संभागायुक्त श्री कांवरे ने जनपद पंचायत महासमुंद के ग्राम पंचायत बिरकोनी के सचिव शंकर साहू, बलौदाबाजार-भाटापारा के जिला पंचायत सीईओ ने जनपद पंचायत पलारी के गिर्रा के ग्राम पंचायत सचिव खिलेश्वर ध्रुव और जनपद पंचायत बलौदाबाजार के ग्राम पंचायत लटुआ के सचिव टीकाराम निराला को निलंबित किया है. श्री कांवरे ने इसके अलावा तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पलारी रोहित नायक जिला बलौदाबाजार-भाटापारा, तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बलौदाबाजार रवि कुमार जिला बलौदाबाजार भाटापारा एवं तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत महासमुंद, लिखत सुल्ताना जिला महासमुंद को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. आयुक्त रायपुर संभाग द्वारा उक्त अधिकारियों को नियत अवधि में जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं.

छोटे कर्मचारी ही निलंबित, बड़ों अफसरों को केवल नोटिस

छत्तीसगढ़ में रीपा योजना में गड़बड़ी की शिकायत तब सामने आई थी, जब पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने करीब 300 रीपा केंद्र स्थापित करने की योजना लागू की थी. इस योजना के लिए डीएमएफ के अलावा अलग-अलग मदों का इस्तेमाल किया गया था. जिसमें करोड़ों रुपए की मशीनों की खरीदी हुई है, जिसमें भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं हुआ था. भले ही मुख्यसचिव की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी का प्रतिवेदन अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन सभी संभागायुक्त उसी प्रतिवेदन के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रहे हैं. जिसमें भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं करने, बगैर तकनीकी परीक्षण के मशीनों की खरीदी करने और मशीनों का भुगतान किस्त-किस्त में करने जैसे आरोप सिद्ध हुए है. यहां सवाल यही उठ रहा है कि ग्राम पंचायत के सचिव के अधिकार क्षेत्र में न तो खरीदी किया जाना है और न ही भुगतान किया जाना, लिहाजा जिन अफसरों ने यह सब गड़बड़झाला किया है, उनके खिलाफ आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. केवल छह कलेक्टरों और 18 जनपद पंचायत के सीईओ को कारण बताओ नोटिस दिया गया. वहीं ग्राम पंचायत के सचिवों को एक-एक कर निलंबित किया जा रहा है.