भिलाई। श्लोक ध्वनि फाउंडेशन के ने 11 अप्रैल दिन सोमवार को सिविक सेंटर स्थित कला मंदिर भिलाई में शाम-ए-ग़ज़ल “अल्फ़ाज़ और आवाज़” ग़ज़ल का ग्लोबल सफ़र का आयोजन किया गया, जिसमें संगीतकार राजेश सिंह और ज्ञानिता द्विवेदी ने अपनी ग़ज़ल गायकी से महफ़िल लूटी. उन्होंने अजय सहाब की ग़ज़ल
अब वो आंखों की शरारत नहीं होने वाली,
अब वो धड़कन की बगावत नहीं होने वाली।।
से शानदार शुरुआत की। फिर
छोटी सी है दिल की कहानी…
तन्हाइयों में अश्क…

जैसी ग़ज़लें सुनाई जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया ।

अल्फ़ाज़ और आवाज़ के स्तंभ शायर

अजय सहाब ने एक से बढ़कर शेर पढ़े जिसमें ज़िंदगी के फलसफे, सच्चाई, दार्शनिकता , नाज़ुक रिश्ते और आभासी दुनिया पर व्यंग ने भिलाई के सुधी श्रोताओं ने हाथों हाथ लिया और उन्होंने खूब वाह वाही बटोरी. उन्होंने जो शेर पढ़े उसमे प्रमुख थे…

ताज़ा हवा के वास्ते खिड़की न बन सका,
दे दूं किसी को छाँव वो बदली न बन सका।
बेटा बसा बिदेस में दौलत के ढेर पर,
लेकिन वो बूढ़े बाप की लाठी न बन सका..

आपका पहला ही बर्ताव बता देता है,
आपको आपके वालिद ने सिखाया क्या है।

इतने बोझ ग़म के इसकी कमर झुकी है,
लगता है मंथरा सा मेरा हर एक नग़मा
हर शब्द को चखा है लिखने से पहले मैंने
शबरी के बेर जैसा मेरा हर एक नग़मा।।

कार्यक्रम में उद्योगपति कनिका जैन ,अरविंद जैन ,शायर साकेत रंजन प्रवीर आदि गणमान्य लोग अतिथि के रूप में अंत तक मौजूद रहे, जिन्होंने शानदार कार्यक्रम के लिए श्लोक ध्वनि फाउंडेशन के फाउंडर सुमित शर्मा और श्रीकुमार पाण्डेय को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं. उन्होंने बताया कि ग़ज़ल का ग्लोबल सफ़र सफलता की बुलंदियों को छू रहा है…

कलाकारों के बारे में कहा कि अजय ‘सहाब’ जी देश में उर्दू शाइरी का एक स्थापित नाम हैं. उन्हें हाल ही में सदफ इंटरनेशन कतर की ओर से उर्दू साहित्य के लिए मुहम्मद सबीह बुखारी इंटरनेशनल अवार्ड से नवाजा गया है. उन्होंने रिवायती और ज़दीद शायरी में अपना नया रंग घोल कर सहजता से बड़ी बात कहने में सफलता पाई है .

देश के बड़े ग़ज़ल गायकों जिसमे जगजीत सिंह, पंकज उदास , भूपेंद्र सिंह, तलत अज़ीज़,चंदन दास, सुदीप बैनर्जी, उस्ताद गुलाम अब्बास खान साहब, रेखा भारद्वाज ने उनकी ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी है. वे साहिर सम्मान और the national smile award जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं. उनके द्वारा लिखे साहिर लुधियानवी के गीतों के नए अंतरे उन गीतों को और भी खूबसूरत बना देते हैं.

राजेश सिंह जी हरदोई up में जन्में ग़ज़ल गायकी में देश विदेश में तेजी से मकबूल हो रहे हैं।जहाँ उनके आवाज़ में एक ठहराव है. वहीं उनमें लफ़्ज़ों की पेशगी का नाज़ुक अंदाज़ भी है, जो उन्हें इस दौर का अलहदा ग़ज़ल गायक बनाता है. उनके गाये ग़ज़लों नज़्मों को youtube पर करोड़ों की व्यू मिली है.

शहरयार,निदा फ़ाज़ली,ग़ालिब, अमीर खुसरो,अहमद फ़राज़, नासिर काज़मी अजय ‘सहाब’और कई शायरों के अशआर को उन्होंने संगीतबद्ध किया है. बनारस घराने के द्विजेन भट्टाचार्य से संगीत की तालीम लेने वाले राजेश ने पश्चिमी संगीत को भारतीय संगीत के साथ ब्लेंड कर नया आयाम देने की कोशिश की है.

ज्ञानिता द्विवेदी का सफर

  • 9 वर्ष की उम्र से stage पे गाना शुरू किया.
  • प्रारम्भिक संगीत शिक्षा ‘श्री राम संगीत महाविद्यालय ‘ से ली जो की खैरागढ़ विश्वविद्यालय से affiliated है.
  • एक साल मुंबई में गजेंद्र सिंह की अकैडमी में संगीत सीखा
  • महुआ चैनल के reality show ‘सुरों का महासंग्राम’ में finalist रही 2012 में
  • Filmmaking में Bharatiya Vidya Bhawan से PG डिप्लोमा किया
  • महुआ प्लस के morning show ‘भयिल बिहान’ के 100 से ज़्यादा episodes और दूरदर्शन के travelogue शोज़ की ऐंकर रही
  • ICCR के माध्यम से भारतीय संगीत को रेप्रेज़ेंट और पर्फ़ॉर्म करने विदेश के टूर किए
  • Anjan TV पर सुबह के शो में भजन आते हैं 5 साल से
  • मुंबई में विख्यात music डिरेक्टर Monty Sharma (साँवरिया, देवदास, ब्लैक, हम दिल दे चुके सनम) को एक साल असिस्ट किया। उनके under में Genius (अनिल शर्मा) और Banjara-The Truck Driver (बब्बू मान) जैसी फ़िल्मों में background music पे काम किया। कई original singles पे भी काम किया और गाया। इस दौरान Sukhwinder Singh, Munawar Masoom, Sameer Ji, Kunwar Juneja, Daboo Malik, Anu Malik, Salim