रायपुर. प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर एक पत्रकार ने सोशल मीडिया में हकीकत बया की है. हालांकि ये पोस्ट उन्होंने अपने फेसबुक से डिलीट कर दी है, लेकिन तब तक ये पोस्ट वायरल हो गई थी.

 जाने पत्रकार ने क्यों कहा- #बदहालअम्बेडकरफटहाल_सुविधाएं

ईंटों पर बेड टिके हैं. एसी न जाने कब से खराब है ( जैसा कि नर्सिंग स्टाफ बता रहे) एसी के नीचे एक्जॉस्ट फैन लगा है. जो अपने आप ही जाम होकर बन्द हो जाता है. गर्मी के मारे नींद नहीं आ रही. नर्स को बोला कोई टेबल फैन ही लगा दीजिये तो बोली नहीं है.

गंदी और फटी बेडशीट बिछाने को दी गई. मैंने लेने से मना कर दिया. घर से लाई बेडशीट बिछाया हूं. ओटी ड्रेस पहनने को दिए है. जिसमें 12 ठो छेद हैं. पर उसे पहनना मेरी मजबूरी थी, क्योंकि ऑपरेशन करवाना था.

कल रात को बीएससी नर्सिंग की एक लड़की ड्रिप बंद करने आई पर केन्यूला को ठीक से बंद नहीं कर पाई. करीब आधा लीटर खून बेड पर ही बह गया. हाथ में गीला-गीला महसूस हुआ तो देखा कि बेडसीट खून से भीग चुकी थी. बाद में न खून साफ किया, न बेडसीट बदली गई. खुद से ही बेडशीट बदलना पड़ा. रातभर मच्छरों से परेशान रहा सो अलग.

यह हाल है प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर (मेकाहारा) के न्यू ट्रामा का. क्या ही अस्पताल है भाई. स्वस्थ्य विभाग को इतना पैसा दिया जाता है, पर पैसा जाता कहां है, समझ से परे है. लगता तो यही है कि स्वास्थ्य सुविधाओं का सारा पैसा नेता-अफसर ही खा जा रहे हैं.

मेरे दाहिने पैर के घुटने के लिगामेंट में दिक्कत थी. मेकाहारा में स्पोर्ट्स इंज्यूरी के अच्छे डॉक्टर हैं, सोचकर ऑपरेशन कराने का निर्णय लिया. ऑपरेशन तो ठीक हुआ है, लेकिन अस्पताल की अव्यवस्थाओं से परेशान हूं. लगता है, जैसे सरकार जानबूझकर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर भेजने ऐसा कर रही है.

ऑपरेशन के पहले भी एक बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई थी. ऑपरेशन के पूर्व मुझे एनेस्थीसिया का एक फुल डोज दिया गया, लेकिन उसका कोई असर ही नहीं हुआ. इसके कारण दोबारा मेरे रीढ़ की हड्डी में सुई चुभोकर फुल डोज दिया गया. इसका भी असर नहीं हो रहा था. डॉक्टर बोलने लगे कि कहीं डोज तो नकली नहीं है.

मुझे बेहोश कर ऑपरेशन करने की तैयारी थी या फिर ऑपरेशन कैंसिल करने की. हालांकि दूसरा डोज देने का आधे घंटे बाद दवाई का असर हुआ और मेरा कमर से नीचे का हिस्सा सुन्न हुआ. एनेस्थीसिया के डोज के नकली होने की बात से मैं अंदर तक हिला हुआ हूं.

पांच साल पहले भी अम्बेडकर अस्पताल में एक ऑपरेशन कराया था, तब इतनी भयावह स्थिति नहीं थी. लगता है. तब स्वास्थ्य सुविधाओं का इतना बुरा हाल तो नहीं ही होता था. लगता है, स्वास्थ्य विभाग में बहुत भ्रष्टाचार है. इस सरकार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार से कुछ सीखना चाहिए.’’

ये पोस्ट पत्रकार प्रफुल्ल ठाकुर के फेसबुक वॉल से लिया गया है, जो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.