जिन महापुरूषों ने देश को आजाद कराया, जिन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है. उस महापुरूष समेत करीब आधा दर्जन महापुरूषों की तस्वीरों को कचरे के ढ़ेर में फेंक दिया गया.

ये पूरा वाक्या बालोद का है. यहां जिला मुख्यालय में विकासकार्यों के नाम पर महापुरुषों का अपमानित करने का मामला सामने आया है. इन महापुरुषों में देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री, स्वामी विवेकानंद, सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के अलावा डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की तस्वीरें हैं जो अंग्रेजी माध्यम के बन रहे उत्कृष्ठ विद्यालय में कूड़े करकट के रूप में कचरे की ढेर में पड़ी हुई मिली हैं.

बात दें कि उक्त अंग्रेजी माध्यम स्कूल का निर्माण पीडब्ल्यूडी करा रहा है, करोड़ो रुपए की लागत से बन रहे इस उत्कृष्ट विद्यालय का निर्माण अब अंतिम दौर में है.

बड़ी बात यह भी है कि ये जो तस्वीरें है वे छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के द्वारा पूर्व में संचालित स्कूल में लगाई गयी थी. नवनिर्मित स्कूल के कचरे की ढेर में महापुरुषों के चित्र देख वार्डवासियों में जमकर आक्रोश है.

 पड़ी थी शराब की बोतल और डिस्पोजल ग्लास

 

निर्माण एजेंसी ने क्विट इंडिया और क्लीन इंडिया का संदेश देने वाले बापू की स्मृतियों को संजोये रखना भी मुनासिब नही समझा. जिस जगह पर महापुरुषों के चित्र पड़े मिले वहीं कुछ दूरी पर अंग्रेजी शराब की बोतल और डिस्पोजल ग्लास भी पड़े मिले.

अंदर पोताई का काम चल रहा तो बाहर रखवा दिया…

पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यपालन अभियंता एफ़ टोप्पो का कहना है कि उन्होंने महापुरुषों के चित्र को रखवा दिया है. डीओ साहब जब आए थे तो उनकी नजर में आया तो उन्होंने अपने स्टाफ को बुलवाकर सुरक्षित रखवा दिया है. अंदर पोताई का काम चल रहा तो बाहर रख दिया गया था.

साहब का कहना देखूंगा तो सब फिकवा दूंगा

पीडब्ल्यूडी टोप्पा साहब से जब पूछा गया कि अंग्रेजी शराब की बोतल, डिस्पोजल ग्लास भी पड़े है! तो उनका कहना था कि वो तो सफाई वाली बात है. इसमें कौन सा दिक्कत है. साहब का कहना था मुझे मत बताइये जिनकी संस्था है उनको बताइये. बाकी सफाई रोज चल रही है. मैं देखूंगा तो फिकवा दूंगा.

 डीईओ साहब ने तो फोन ही नहीं उठाया

इस गंभीर विषय पर जब निर्माण एजेंसी के जिम्मेदार अधिकारी ने मामले पर गोलमोल जवाब देते नजर आए और मामले को जिला शिक्षा अधिकारी पर थोपते दिखे तो जिला शिक्षा अधिकारी को इस मामले की जानकारी लेने लगातार उनके मोबाइल पर कॉल कर जानकारी लेने का प्रयास किया गया, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने न तो मोबाईल पर उपलब्ध हुए और न ही किसी तरह का काल बेक किया.