आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। बस्तर में मानसून के दस्तक के साथ ही ऐसे लोगों की परेशानी बढ़ गई है, जो जर्जर हो चुकी मकान में या झुग्गी झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं. बारिश के दिनों में भारी बारिश की वजह से कई आशियाने उजड़ भी जाते हैं. शहर में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें अपनों ने ही बेसहारा छोड़ दिया. वे लोग अपनी बची हुई जिंदगी कच्चे मकान या झोपड़ी में बिताने को मजबूर हैं. ऐसे ही लोगों की मदद करने का बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं ने बीड़ा उठाया है.

बस्तरिया बैक बेंचर्स बने सहारा

बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं की यह टोली ऐसे लोगों को उनका घर बना कर दे रही है, जो झोपडी में रहने को मजबूर हैं. उनके मदद के लिए प्रशासन समेत कोई हाथ आगे नहीं बढ़ा रहा है. कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के बुरे वक्त पर शहर के कई जरूरतमंदो को 43 दिनों तक दो वक्त का भोजन पहुंचाने के बाद अब युवाओं ने बेसहारा और जरूरतमंदों के उजड़े आशियानों को बनाने का जिम्मा उठाया है.

बुजुर्ग दंपति को झुग्गी झोपड़ी से छुटकारा

दरअसल, युवाओं ने देखा कि अटल बिहारी वाजपेयी वार्ड में 80 वर्षीय दंपति के घर की छत और चार दीवारी झुग्गी और झाड़ियों से बनी है. यहां की बुजुर्ग महिला ठीक से चल नहीं पाती है, तो बुजुर्ग व्यक्ति को दिखाई देना भी बंद हो गया है. लेकिन दोनों एक दूसरे की मदद से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. कोई इन लोगों तक राशन पहुंचा देता है. तो पेट भर जाता है. बारिश में कीचड़ की वजह से घर पर रहना. मुश्किल हो जाता है. वहीं घर ढहने का भी डर बना रहता है. ऐसे में बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं की टोली इनकी मदद के लिए आगे आई. टीन और सीमेंट शीट से घर बनाना शुरू किया. 3 दिनों के भीतर ही अपने पैसों से इन बुजुर्ग दंपति के लिए घर बनाकर तैयार कर दिया.

बारिश की वजह से दोनों बुजुर्ग दंपति भीगने को मजबूर हो जाते हैं. कई बार वार्ड के पार्षद से भी गुहार लगाई गई, लेकिन ना तो इन्हें घर मिला और ना ही कोई सहारा, जब अपनों ने ही इन्हें छोड़ दिया. उसके बाद इनकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आया. इसके बाद बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं ने मदद की. वार्डवासियों ने कहा कि जैसे तैसे बुजुर्ग दंपति अपना जीवन यापन करते हैं.

बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं का कहना है कि कोरोना काल की वजह से कई मजबूर लोग बुरे हालातों से गुजर रहे हैं. कामकाज छिन जाने की वजह से और आर्थिक तंगी से जूझने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उनका एक छोटा सा प्रयास है कि उनके माध्यम से जरूरतमंदों को मदद पहुंचाई जा सके. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने 43 दिनों तक करीब हर दिन 200 लोगों को दो वक्त का भोजन पहुंचाने का काम किया.

युवाओं ने कहा कि वे लगातार ऐसे लोगों को मदद पहुंचाते रहेंगे, जिनके मकान टपरी और झुग्गी से बने हैं. उन्हें कोई सहारा नहीं मिल रहा. फिलहाल युवाओं ने कहा कि उन्होंने इसी अभियान के रूप में लिया है. 3 घरों को चिन्हाकित भी किया है. उन घरों को भी जल्द ही तैयार कर लेने की बात युवाओं ने कही है.

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