सत्यपाल सिंह,रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग पिछले एक महीने से बिना अध्यक्ष के संचालित हो रहा है. आयोग कार्यालय में सुनवाई नहीं होने के कारण शिकायतकर्ताओं को मायूस होकर घर लौटना पड़ता है. दरअसल सोमवार को निजी स्कूलों की मनमानी फ़ीस के विरोध में पालक शिकायत करने आयोग दफ्तर पहुंचे थे, जहां से उनको निराश होकर लौटना पड़ा.

बाल संरक्षण के आयोग के सचिव प्रतीक खरे ने का कहना है कि सचिव को सुनवाई करने का अधिकार नहीं होता है, जो भी शिकायत आ रही उनको लिया जा रहा है. आयोग की टीम की नियुक्ति होने के बाद मामलों की सुनवाई की जाएगी.

बाल आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रभा दुबे ने कहा कि जनवरी में मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया है. अन्य छः सदस्य होते है, उनको सुनवाई करने का अधिकार होता है, लेकिन उनका भी कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो गया. पता नहीं क्यों अब तक पद खाली रखा गया है. सुनवाई नहीं होने से बिल्कुल प्रभाव पड़ता है. न्याय की उम्मीद लेकर पहुंचने वाले लोग निराश होकर लौट रहे होंगे.

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जनवरी 2021 में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया था. जिसके बाद से अभी तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है. आयोग की सुनवाई का अधिकार अध्यक्ष और सदस्यों के पास ही होता है. ऐसे में आयोग में आ रही शिकायतों का सुनवाई नहीं हो पा रहा है.