सुप्रिया पांडे,रायपुर। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर धरने पर बैठी है. पूरे प्रदेश भर से लगभग हजारों की संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं रायपुर के बूढ़ातालाब धरना स्थल पर मौजूद है. इनका कहना है कि इस बार बजट में हमारे लिए कुछ भी नहीं है. इसलिए आंदोलन करने को मजबूर है. अगर सरकार महिला दिवस के दिन हमारे लिए कोई घोषणा कर दें, तो हम उनका धन्यवाद करेंगे. यदि 8 मार्च के बाद भी कोई फैसला नहीं होता, तो हम अनिश्चितकालीन हड़ताल करने के लिए बाध्य होंगे.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग को लेकर प्रांताध्यक्ष सरिता पाठक ने कहा कि शासकीय कर्मचारी घोषित करना, मानदेय में वृद्धि करना, सुपरवाइजर पद खाली होने पर कार्यकर्ताओं को उनके पद पर लेना. कार्यकर्ता पद खाली होने पर सहायिकाओं को उनके पद पर लेना होगा. कार्यकर्ताओं पेंशन और चिकित्सा भत्ता की मांग भी हमने की है. बाकी राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी हमें 11 हजार रुपए मानदेय के रूप में मिलना चाहिए. हमने सरकार से ये उम्मीद की थी कि बजट में हमारे लिए कुछ घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि 8 मार्च को महिला दिवस के दिन हमारी मांगों को पूरा करें. हम सरकार को धन्यवाद देंगे, यदि वे हमारी मांगे पूरी नहीं करते तो एक बार फिर से हम अनिश्चितकालिन हड़ताल करने को बाध्य होंगे. जब भाजपा की सरकार थी, तब भी हमने अनिश्चितकालीन हड़ताल किया था. उस वक्त भी हमारे लिए किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं हुई थी. कांग्रेस सरकार ने अपने घोषणापत्र में 2 माह बाद हमारी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, दो माह के बजाय 2 वर्ष हो गए फिर भी सरकार कहती है कि कर्ज लिए है. इसलिए मांगों को पूरा नहीं कर रहे, लेकिन अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले जा रहे, शिक्षकों की भर्ती हो रही, जगह जगह विकास कार्य हो रहे, तब कर्ज का ध्यान उन्हें नहीं आया.

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जिला अध्यक्ष सुनीति साहू ने कहा कि प्रदेशभर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं यहां इकठ्ठे हुई है. हम इंतजार ही करते रह गए कम से कम इतनी तनख्वाह तो हमें दें जिससे हमारा जीवन यापन हो जाए.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की मांग को तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार झा ने भी समर्थन किया. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 2003 से 2021 तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को संघर्ष करते हुए मैंने देखा है. इतनी तनख्वाह में तो परिवारजनों के लिए भोजन कपड़े की व्यवस्था भी नहीं हो सकती. छत्तीसगढ़ में महिलाओं का शोषण हो रहा है, इन्हें 6000 के बजाय 12000 देना चाहिए, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में इनकी नियुक्ति करनी चाहिए मैं मुख्यमंत्री व महिला बाल विकास मंत्री से निवेदन करता हूं कि इनकी मांगों को पूरा करें.