Corona तांडव की इस लहर में कोरोना को लेकर लोगों में काफी डर व्याप्त है. सबको ये डर लगा रहता है कि कहीं वो कोरोना की चपेट में न आए, और यदि किसी कारण से आ भी जाएं तो कोरोना से जल्द ठीक हो जाएं.
Corona वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और ऐसे में लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठना लाजमी है. यूं तो इस महामारी के साथ दुनिया को एक साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है और मास्क-सोशल डिस्टेंसिंग जैसे शब्द बेहद आम हो चुके हैं, लेकिन अभी भी कुछ बातें ऐसी हैं जिनसे बीमारी की गंभीरता को पहचाना जा सकता है और समय रहते जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं. जैसे एक बड़ा सवाल यह है कि कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पीड़ित मरीज की हालत सुधरने या बिगड़ने में कितना वक्त लगता है?
कितने वक्त में हो जाते हैं ठीक?
एनबीटी टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मैरीलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के डॉ. फहीम यूनुस के मुताबिक ज्यादातर मरीज 14 दिन के अंदर ठीक हो जाते हैं लेकिन 10% से कम संख्या ऐसे लोगों की होती है जिनकी हालत दूसरे हफ्ते में बिगड़नी शुरू होती है. डॉ. फहीम इसे ऐसे समझाते हैं, ‘अगर पहले दो हफ्ते में आपकी हालत खराब नहीं हुई, तो आप ठीक हो रहे हैं. 80% से ज्यादा लोग इस कैटगिरी में आते हैं.’
‘ Corona वायरस की चिंता न करें’
उन्होंने बताया है कि किसी की तबीयत तेजी से खराब होती है और सुधार धीमे होता है. उन्होंने यह भी सलाह दी है कि लोगों को वायरस के बारे में कम चिंता करनी चाहिए जैसे उसके वेरियंट या वह हवा से फैल रहा है, इन पर एक्सपर्ट काम कर रहे हैं. लोगों को निजी व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए. उनकी सलाह है कि N95/KN95 मास्क पहनें, भीड़ में जाने से बचें और वैक्सीन लगवाएं. उन्होंने कहा है कि जिन चीजों पर आप नियंत्रण कर सकते हैं, उन पर ध्यान दें और सतर्कता से रहें.
‘सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी’
इससे पहले हवा से वायरस फैलने की रिपोर्ट्स पर डॉ. फहीम ने लिखा था कि कपड़े के मास्क पहनना बंद कर दें. उन्होंने बताया है, ‘दो N95 या KN95 मास्क खरीदें. एक मास्क एक दिन इस्तेमाल करें. इस्तेमाल करने के बाद इसे पेपर बैग में रख दें और दूसरा इस्तेमाल करें. हर 24 घंटे पर ऐसे ही मास्क अदल-बदल कर पहनें. अगर इन्हें कोई नुकसान न पहुंचे तो हफ्तों तक इनका इस्तेमाल किया जा सकता है.’
डॉ. फहीम ने साफ किया है, ‘हवा से वायरस फैलने का मतलब यह नहीं है कि हवा संक्रमित है. इसका मतलब है कि वायरस हवा में बना रह सकता है, इमारतों के अंदर भी और खतरा पैदा कर सकता है.’ उनका कहना है कि बिना मास्क के सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पार्क और बीच अभी भी सबसे सुरक्षित हैं.
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