बीजापुर. बीते डेढ़ साल से सिलगेर में डटे सैकड़ों आदिवासियों समेत आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन के अधिकार को लेकर सीपीआई की सिलगेर से सुकमा तक की प्रस्तावित पदयात्रा मंगलवार से शुरू होने जा रही है. इस पदयात्रा पर सरकार भी नजर बनाई हुई है. हालांकि, बीजापुर के सरहद से लगे सुकमा के सिलगेर से सुकमा तक की सीपीआई प्रस्तावित पदयात्रा को स्थानीय प्रशासन की तरफ से साफ मनाही है. बावजूद पदयात्रा का नेतृत्व करने वाले पूर्व विधायक कोंटा एवं संभागीय संयोजक अखिल भारतीय आदिवासी महासभा बस्तर संभाग मनीष कुंजाम का साफ कहना है कि सरकार-प्रशासन उन्हें रोकने का भरसक प्रयास कर लें, लेकिन पदयात्रा तो होकर रहेगी.

सोमवार देर शाम मनीष कुंजाम सुकमा से बीजापुर पहुंचे. यहां पत्रकारों से चर्चा में कुंजाम ने कहा कि, पदयात्रा का एकमात्रा उद्देश्य सरकार की वादाखिलाफी के प्रतिवाद में है. मनीष का कहना था कि सत्तासीन होने से पहले प्रदेश सरकार ने बस्तर के आदिवासियों के परिपेक्ष में अपने चुनावी मेनोफेस्टो में जो वादे किए थे, वो पूरे नहीं किए. बस्तर से पैरामिलिटरी फोर्स की वापसी, पंचायतों में पेसा कानून, आदिवासियों की संप्रभुता, जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई को लेकर जितने भी वादे सरकार ने किए थे, एक भी वादे चार सालों में पूरे नहीं हुए. उनकी पदयात्रा का मकसद ही सरकार को उन वादों को याद दिलाना है.

सारकेगुड़ा, एड़समेटा के मुद्दे पर तंज कसते हुए मनीष का कहना था कि, यह वही सरकार है जो विपक्षी में रहते हुए बीजापुर में हुए तमाम नरसंहार पर जांच कमेटी बनाया करती थी और सरकार आने पर पीड़ित आदिवासियों को न्याय देने का दंभ भरती थी. लेकिन गोलीकांड से जुड़ी न्यायिक जांच रिपोर्ट आने के बाद भी पीड़ित आदिवासियों के हाथ आज भी खाली हैं, इस बीच सिलगेर गोलीकांड के बाद भी सरकार ने दक्षिण बस्तर में आदिवासियों पर फोर्स की ज्याददती को लेकर संवेदना का परिचय नहीं दिया.

पदयात्रा को अनुमति नहीं मिलने के संबंध में कुंजाम का कहना था कि, जब देश में राहुल गांधी पदयात्रा कर सकते हैं, आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पदयात्रा की तो आजादी के बाद संवैधानिक अधिकारों से आदिवासियों को वंचित रखने का प्रयास क्यों कर रही है सरकार. जबकि पदयात्रा का उद्देश्य संवैधानिक अधिकारों को लेकर है, जिसे लेकर लगातार दक्षिण बस्तर में आदिवासी आंदोलनरत है, भले ही सरकार, प्रशासन उन्हें इसकी इजाजत ना दे, लेकिन मंगलवार से उनकी पदयात्रा किसी भी सूरत में शुरू होकर रहेगी. कुंजाम ने यह आशंका भी जताई कि पदयात्रा को विफल करने सरकार हर तरह के हथकण्डे अपना सकती है, वो बीच रास्ते में ही मार्च को रोक सकती है, बावजूद वे आगे बढ़ेंगे.

सीपीआई की सिलगेर से सुकमा तक प्रस्तावित पदयात्रा सिलगेर से शुरू होकर जगरगुण्डा के रास्ते सुकमा तक बढ़ेगी. सप्ताह भर तक सीपीआई नेताओं के साथ सैकड़ों आदिवासी पदयात्रा करेंगे. खाने-पीने के सामान साथ लेकर आदिवासियों के साथ सीपीआई आगे बढ़ेगी. मंत्री कवासी लखमा के विधानसभा क्षेत्र में सीपीआई की इस लम्बी पदयात्रा से सरकार के भी कान खड़े हैं.