रायपुर। प्रदेश में खाद की किल्लत को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और किसान मोर्चा अध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार पर तीखा हमला बोला है. पूर्व मंत्री अग्रवाल ने कहा कि 26 जुलाई को बीजेपी किसान मोर्चा का बड़ा आंदोलन होगा. यह आंदोलन विधानसभा क्षेत्रों में किया जाएगा. बीजेपी आंदोलन के जरिये वक़्त है पछतावा का मुहिम छेड़ेगी.

पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, खेती किसानी का सीजन चल रहा है. राज्य की 90 फ़ीसदी आबादी खेती पर निर्भर है. किसान हाहाकार कर रहा है. किसान खाद के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है. बीस सालों में पहली बार ये स्थिति बनी है, किसानों को अमानक बीज उपलब्ध कराया जा रहा है.

बारिश कम होने की वजह से खेतों में दरार पड़ रही है लेकिन बांधों से पानी नहीं दिया जा रहा. समर्थन मूल्य का पैसा किसानों को नहीं मिल रहा है. कई कई किस्तों में पैसा दिया जा रहा है.

किसान पलायन करने को मजबूर हो रहा है. बीजेपी किसान मोर्चा 26 जुलाई को पूरे प्रदेश भर में बड़ा प्रदर्शन होगा. बीजेपी विधायक इन मुद्दों को सदन में भी उठाएंगे. किसानों को खाद, बीज, पानी उपलब्ध कराने की मांग करेंगे.

पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, राज्य के जांजगीर, मुंगेली जैसे ज़िलों से सबसे ज़्यादा किसान पलायन कर रहे हैं. आमतौर पर ऐसा होता आया है कि बारिश के सीजन में किसान अपने गांव लौटकर खेती करता था लेकिन ये पहली बार हो रहा है कि किसान खेती किसानी के सीजन में पलायन कर रहा है.

राज्य सरकार से हम श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर रहे हैं कि केंद्र को कितने खाद की मांग की थी. केंद्र ने डिमांड से ज़्यादा खाद की आपूर्ति की है. मुख्यमंत्री तीन लाख टन अतिरिक्त खाद की मांग क्या कालाबाज़ारी के लिए कर रहे हैं. राज्य सरकार ने किसानों से ज़्यादा खाद की आपूर्ति निजी व्यापारियों को की है. यूरिया की पांच टन की मांग की थी पिछले साल एक लाख टन का स्टॉक था फिर भी इसकी कमी क्यों हो रही है.

नीम कोटेट यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग ख़त्म हो गई है फिर राज्य में इसकी कमी क्यों हो रही है. 76 हज़ार टन खाद जुलाई तक स्टॉक में था, फिर इसकी कमी क्यों हो रही है ? किसानों को ये खाद क्यों नहीं दिया जा रहा है? ये सरकार भगवान भरोसे चल रही है. इस सरकार की कोई योजना नहीं, कोई नीति नहीं. दो रुपए किलो में गोबर ख़रीदा जा रहा है, उसमें मिट्टी मिलाकर दस रुपये में ख़रीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. राज्य सरकार गोबर खाद के ज़रिए अपना ख़ज़ाना भरने की कोशिश कर रही है.