एक तरफ जहां कोरोनावायरस (कोविड-19)  संक्रमण की रोकथाम में पूरा स्वास्थ्य विभाग जुटा है, वहीं नर्सें भी इस संक्रमण को रोकने के लिए समुदाय की सेवा के साथ ही लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही हैं. इस मुश्किल घड़ी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर खुद को और समाज को सुरक्षित रखने की अपील करने वाली महासमुंद  डेडीकेटेड कोविड अस्पताल की इचार्ज गायत्री साहू कहती हैं “ विषम परिस्थितियों में मरीजों की सेवा करने का अवसर मिला है, इससे खुद की योग्यता साबित होती है. ऐसे समय में अपने अनुभवों को लोगों के बीच साझा करने से कार्य में सुदृढ़ता भी आती है. इसलिए सेवा का मिला है अवसर तो जिम्मेदारी तो निभाऊंगी ही. “

2014 से जिला अस्पताल महासमुंद में कार्यरत गायत्री परिवार की वह अकेली लड़की हैं. कोरोनाकाल के दौरान जब उन्हें कोविड डेडीकेटेड अस्पताल का इंचार्ज बनाया गया तो वायरस से डर नहीं लगा, मगर जिम्मेदारी ठीक से निभा सकेंगी या नहीं, इसे सोचकर थोड़ा भय जरूर लगा.“ गायत्री कहती हैं

50 बिस्तर वाले स्पेशल अस्पताल की जिम्मेदारी को उन्होंने चुनौति के रूप में स्वीकार किया . अस्पताल में रोगियों की सेवा करने, उनका हौसला बढ़ाने के साथ ही उन्हें सकारात्मकता की सीख देना मुझे अच्छा लगता है. सेवा का अवसर हर किसी को नहीं मिलता है, मैं खुशनसीब हूं जो मुझे कोवि़ड रोगियों की सेवा करने का अवसर मिला है.

कोविड में परिवार की सुरक्षा के सवाल पर उनका कहना है- कोविड अस्पताल में ड्यूटी के दौरान मम्मी-पापा और भाई की सुरक्षा की चिंता रहती थी. मगर वह अलग रह रही हैं तो अब चिंता नहीं.

गायत्री साहू कहती हैं

नर्सिंग ट्रेनिंग लेने के बाद दो साल तक प्राइवेट अस्पताल में काम किया तब बहुत से लोग उन्हें कहते थे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी क्योंकि, इस प्रोफेशन में ऐसा ही होता है. मगर इन सब से विचलित नहीं होते हुए सिस्टर गायत्री ने परिवार वालों, विशेषकर भाई के सहयोग से नर्सिंग प्रोफेशन को जारी रखा. अंततः दो साल बाद जिला अस्पताल महासमुंद में उन्हें सरकारी नौकरी मिली.

सिस्टर गायत्री अस्पताल में हो या घर पर समान रूप से लोगों की सेवा में तत्पर रहती हैं. उनका कहना है, व्यक्ति कभी भी, कहीं भी बीमार हो सकता है. बीमारी दिन और रात देखकर नहीं आती है इसलिए नर्सेज की अहम जिम्मेदारी बनती है कि दिन-रात की परवाह किए बगैर मरीजों की सेवा करें.