रायपुर. श्रीकांत वर्मा पीठ (छ. ग.), छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल और जिला प्रशासन-गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही के संयुक्त तत्वाधान में कबीर चबूतरा में 24 अगस्त से 28 अगस्त तक पांच दिवसीय रचना शिविर का अभिनव आयोजन किया गया. इस रचना शिविर में देश के ख्यातिनाम कथाकारों, आलोचकों, कवियों और उपन्यासकारों की रचनात्मक सहभागिता रही. 5 दिन और 20 सत्रों में बंटा ये कार्यक्रम अपने आप में अनूठा और प्रयोगधर्मी था, जिसकी जरूरत हिंदी के परिदृश्य में बहुत समय से अनुभव की जा रही थी. रचना संवाद, कहानीपाठ, कविता पाठ, कथेतर गद्य पाठ, उपन्यास पाठ, साक्षत्कार एवं विभिन्न साहित्यिक विषयों पर रचनाकारों ने गहन चिंतन मनन और भविषयमयी रचनात्मक संवाद किया.

खुले सत्रों में रचनाकारों ने साहित्य और समाज, लेखक और पाठक, साहित्य लेखन और पठन की चुनौतियों पर बोधात्मक चिंतन, संवाद और खुली चर्चाएं कीं. रचना शिविर में गगन गिल (दिल्ली) जयशंकर (नागपुर) मधु बी जोशी (गाज़ियाबाद) राजुला शाह (भोपाल) सत्यनारायण (जोधपुर) हरि नारायण (दिल्ली) अच्युतानंद मिश्र (कोच्चि) आनंद हरषुल (रायपुर) योगेंद्र आहूजा (दिल्ली) आशुतोष दुबे (इंदौर) अंबर पांडे (इंदौर) रश्मि रावत (दिल्ली) राहुल सिंह (देवघर) प्रत्यक्षा(दिल्ली) अविनाश मिश्र (दिल्ली) प्रिया वर्मा (लखनऊ) प्रियंका दुबे(इंदौर) जया जादवानी (रायपुर) प्राची साहू (राजनांदगांव) महिमा कुशवाहा (अंबिकापुर) हर्ष तिवारी (अंबिकापुर)श्री कुमार(बिलासपुर) मुदित मिश्र (बिलासपुर) सुमित शर्मा(बिलासपुर) स्मिता (जशपुर)
ने अपनी रचनात्मक सहभागिता दी.

पहले दिन 24 अगस्त को शुभारंभ सत्र के बाद पहला सत्र सृजन, समाज और साहित्य, दूसरा सत्र उपन्यासपाठ और तीसरा सत्र वैश्विक भूमिका पर वक्तव्य हुए.दूसरे दिन साहित्य का सार्वभौम, कहानी पाठ और कहानी भीतर और बाहर विषयों पर वक्तव्य हुए. तीसरे दिन के सत्रों में कविता सत्य और स्वप्न, उपन्यासपाठ, कवितापाठ, लेखक और पाठक बदलते संदर्भ विषयों पर वक्तव्य हुए. चौथे दिन के सत्रों में आलोचना दशा और दिशा, कहानीपाठ, कथेतर गद्य, नए विन्यास और गगन गिल का साक्षात्कार हुआ. पांचवे और अंतिम दिन के पहले सत्र में कवितापाठ दूसरे सत्र में विरासत, कहानीपाठ में मुक्तिबोध की कहानी ‘क्लॉड इथरली’, श्रीकांत वर्मा की कहानी ‘शव यात्रा’, फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी ‘रस प्रिया’ का वाचन किया गया.

कार्यक्रम के अंत में श्रीकांत वर्मा पीठ के अध्यक्ष रामकुमार तिवारी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, इस शिविर को करने का मेरा स्वप्न पूरा हुआ. मेरी इच्छा थी कि, देश के विभिन्न विधाओं और विचारों के रचनाकारों के बीच मे हिंदी की रचनात्मकता को लेकर आत्मीय संवाद हो. साहित्य की अपनी जगह और आवाज़ के लिए एक पारस्परिक विचार मंथन बहुत ही आवश्यक है. मुझे गहरा संतोष है कि, यह आयोजन अपने उद्देश्य में सफल रहा. सहभागी समस्त रचनाकारों ने भी अपने अनुभव और इसकी सार्थकता को स्वीकार करते हुए भविष्यमयी बताया.

उन्होंने सभी आमंत्रित साहित्यकारों छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल(छ.ग.) और जिला प्रशासन-गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही(छ.ग.) के प्रति आभार व्यक्त किया. शिविर के बीच 26 अगस्त को देश के प्रतिष्ठित कवि, अनुवादक और संपादक आग्नेय के निधन की खबर सुनकर सभी स्तब्ध रह गए. सभी ने उनको याद किया और मौन श्रद्धांजलि अर्पित की. शिविर के अंत में देश में हो रहे सभी प्रकार की हिंसा और अमानवीय कृत्यों की निंदा की. हर दिन खुले सत्र में आपस में गहन विचार और चर्चाएं हुईं.

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