रायपुर। प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4500 मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) श्रमिकों के कौशल उन्नयन का लक्ष्य रखा गया है. केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ‘उन्नति’ परियोजना के तहत अधिकतम 45 वर्ष तक की उम्र के मनरेगा श्रमिकों का कौशल विकास किया जाएगा, जिससे वे अपनी आय का स्थाई साधन प्राप्त कर सकें. राज्य मनरेगा आयुक्त मोहम्मद कैसर अब्दुल हक ने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर-सह-कार्यक्रम समन्वयक (मनरेगा) को परिपत्र जारी कर इसके लिए मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत सहायक परियोजना अधिकारियों (एपीओ) और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के जिला नोडल अधिकारियों को परस्पर समन्वय से काम करने के लिए निर्देशित करने कहा है.

राज्य मनरेगा कार्यालय ने वर्ष 2018-19 में मनरेगा के अंतर्गत 100 दिनों का कार्य पूर्ण कर चुके परिवारों के श्रमिकों के कौशल उन्नयन के लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY), ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (R-SETI) एवं कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के माध्यम से प्रशिक्षण शुरू करने के निर्देश दिए हैं.

मनरेगा आयुक्त अब्दुलहक ने परिपत्र में सभी जिलों को ‘उन्नति’ परियोजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रशिक्षण एवं अन्य आवश्यक समयबद्ध कार्यवाहियों को मनरेगा के सहायक परियोजना अधिकारी और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला नोडल अधिकारी के परस्पर समन्वय से पूर्ण करवाने कहा है. उन्होंने परियोजना की प्रगति की मॉनिटरिंग के लिए इसे समय-सीमा की साप्ताहिक समीक्षा बैठक में भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं.

परिपत्र में कलेक्टरों को बताया गया कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ‘उन्नति’ परियोजना की प्रमुखता से समीक्षा की जा रही है. मंत्रालय द्वारा परियोजना के तहत प्रशिक्षण के लिए चयनित हितग्राहियों को वेज-स्टाइपेंड के भुगतान के भी निर्देश दिए गए हैं. प्रशिक्षण के लिए वल्नरेबल कैटेगरी (Vulnerable Category) में आने वाले हितग्राहियों का चयन प्राथमिकता के आधार पर करने कहा गया है. मनरेगा आयुक्त ने कौशल विकास के लिए चयनित हितग्राहियों की ग्राम पंचायतवार एवं विकासखंडवार जानकारी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला नोडल अधिकारी को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.

‘उन्नति’ परियोजना

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ‘उन्नति’ परियोजना का उद्देश्य मनरेगा श्रमिकों को कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण देना है. इसके तहत अधिकतम 45 वर्ष तक के मनरेगा श्रमिकों का कौशल विकास किया जाता है. इससे उन्हें आय के स्थाई साधन प्राप्त होंगे और उनकी आजीविका में सुधार होगा. वे आंशिक रोजगार से पूर्ण रोजगार की ओर बढ़ सकेंगे. परियोजना के अंतर्गत चयनित हितग्राहियों को दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है.

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