सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। बैंककर्मियों के बाद अब बीमाकर्मियों ने भी देशव्यापी हड़ताल किया है. ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत में वित्तीय विभाग के अधिकारी-कर्मचारी एक साथ प्रदर्शन कर रहे हो. हड़ताल के जरिए बीमा कंपनी के कर्मचारियों व अधिकारियों की मांग है कि सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण ना किया जाए.

वहीं 18 मार्च को एलआईसी के कर्मचारी, अधिकारी भी हड़ताल करेंगे. बीमाकर्मियों की मांग है कि आईपीओ और बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 करने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसे वापस लेना चाहिए.

इसे भी पढ़े-CG बोर्ड परीक्षा को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाह गैंग सक्रिय, माशिमं ने ये कहा… 

निजी मुनाफे के लिए बीमा कंपनियों को बर्बाद न करे

आल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के संयुक्त सचिव धर्मराज महापात्र ने बताया कि ओरिएंटल, नेशनल, यूनाइटेड इंडिया, न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी, कर्मचारी ने हड़ताल किया. 1971 में बीमा क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के बाद बीमा कंपनियों का देश के विकास में अमूल्य योगदान रहा है. केंद्र सरकार निजी मुनाफे के लिए इसे बर्बाद करने पर विचार कर रही है.

इसे भी पढ़े-स्वास्थ्य विभाग की अपील: कोरोना के लक्षण दिखने पर तत्काल कराएं जांच

एलआईसी अधिकारी-कर्मचारी करेंगे हड़ताल

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने की बात कही गई है. बीमा कानून 1938 में संशोधन किया जाएगा. जिसके विरोध में कल एलआईसी अधिकारी, कर्मचारी भी एक दिन के हड़ताल पर रहेंगे.

इसे भी पढ़े- छत्तीसगढ़ की तर्ज पर असम में चुनाव लड़ रही कांग्रेस, मंत्री अकबर ने बताया छत्तीसगढ़ में कैसे पूरे किए अधिकांश वायदे…

धर्मराज महापात्र ने कहा निजी बीमा उद्योग में विदेशी पूंजी 49 प्रतिशत की अनुमति के बाद भी कम है. विदेशी पूंजी किसी सूरत में भारत में बीमा उद्योग के वृद्धि के इच्छुक नहीं है. उल्टे सरकार के इस कदम से देश के महत्वपूर्ण घरेलू बचत पर ही उनको नियंत्रण में सहयोग करेगा, जो देश के हितों के प्रतिकूल है.

भारत जैसे विकासशील देश के लिए घरेलू बचत पर देश का अधिक नियंत्रण होना चाहिए. देश कें घरेलू बचत पर विदेशी नियंत्रण देश के लिए नुकसानदायक है.